वाराणसी: वामपंथी दलों के राष्ट्रव्यापी आवाहन पर मनरेगा कानून में किए गए बदलाव के विरोध में वाराणसी जिला मुख्यालय स्थित शास्त्री घाट पर धरना-प्रदर्शन किया गया। धरने के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार का ध्यान मनरेगा में किए गए संशोधनों के दुष्परिणामों की ओर आकर्षित किया।
धरना दे रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा कानून में किया गया बदलाव गांव के गरीबों के काम पाने के अधिकार को सीमित करता है। बढ़ती ग्रामीण बेरोजगारी के दौर में जहां गरीबों को अधिक रोजगार देने की आवश्यकता है, वहीं काम को सीमित करना गरीब-विरोधी कदम है।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि बदले हुए कानून के तहत विकसित भारत रोजगार गारंटी और ग्रामीण आजीविका मिशन में फंड का अधिक बोझ राज्यों पर डाला जा रहा है, जिसे राज्य सरकारों के लिए पूरा करना कठिन होगा। साथ ही योजना के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाना अनुचित बताते हुए इसे राष्ट्रपिता का अपमान करार दिया गया।
प्रमुख मांगें
धरने के दौरान वामपंथी दलों की ओर से निम्नलिखित मांगें रखी गईं—
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को यथावत रखा जाए और इसके स्थान पर लाया गया नया कानून तत्काल वापस लिया जाए।
- केंद्र सरकार मनरेगा के लिए पर्याप्त फंड सुनिश्चित करे।
- ग्रामीण श्रमिकों को कम से कम 200 दिन का काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दी जाए।
धरने में सी.पी.एम. और सी.पी.आई. से जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और चेतावनी दी कि यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।









