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वाराणसी: बांग्लादेश में हिंदू-विरोधी हिंसा के विरोध में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, प्रतिबंध व कार्रवाई की मांग

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वाराणसी: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के विरुद्ध हो रही कथित हिंसा को लेकर वाराणसी के हिंदू संगठनों में आक्रोश है। बांग्लादेश के मयमनसिंह क्षेत्र में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को कट्टरपंथी भीड़ द्वारा पेड़ से बांधकर जिंदा जलाए जाने की घटना तथा हिंदू समाज को लक्षित कर घरों और दुकानों को आग के हवाले किए जाने के आरोपों के बाद विरोध तेज हो गया है।

हिंदू जनजागृति समिति के नेतृत्व में सोमवार को वाराणसी में प्रदर्शन कर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं बांग्लादेश उच्चायुक्त के नाम संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी आलोक वर्मा को सौंपा गया। ज्ञापन में बांग्लादेश में हो रही हिंदू-विरोधी हिंसा का तीव्र विरोध दर्ज कराते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की गई।

इस अवसर पर वाराणसी व्यापार मंडल अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा, अधिवक्ता मदन मोहन यादव, अधिवक्ता संजीवन यादव, अधिवक्ता प्रवीण श्रीवास्तव, अधिवक्ता अवनीश राय, अधिवक्ता विकास तिवारी, अधिवक्ता अम्रत्या विशेन, रवि श्रीवास्तव, संजय गुप्ता, विशाल मोदनवाल, डॉ. अजय पटेल, सुनील गुप्ता, नीरज सिंह, मनीष गुप्ता, राजू वर्मा, अरविंद जायसवाल, कवींद्र जायसवाल, राजीव वर्मा, अरविंद लाल सहित समिति के राजन केशरी उपस्थित रहे।

ज्ञापन में मांग की गई कि सतत हिंदू-विरोधी हिंसा को रोकने के लिए भारत सरकार बांग्लादेश पर आर्थिक, व्यापारिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए। साथ ही बांग्लादेश में सक्रिय आतंकवादी एवं कट्टरपंथी गुटों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की भी मांग उठाई गई।

संगठनों का आरोप है कि बांग्लादेश के प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी पर ढाका में गोलीबारी के बाद उनकी मृत्यु के उपरांत हिंदू समाज के खिलाफ सुनियोजित हिंसा शुरू हुई। हिंदू घरों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रत्यक्ष वीडियो, साक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के बावजूद बांग्लादेश सरकार प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि जनगणना के अनुसार वर्ष 1941 में बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगभग 28 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 7–8 प्रतिशत रह गई है। इसे संगठनों ने हिंदू-निर्मूलन की प्रक्रिया बताया।

इसके साथ ही ज्ञापन में भारत-बांग्लादेश समझौतों के तहत अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र व मानवाधिकार आयोग में मामला उठाकर फैक्ट-फाइंडिंग मिशन भेजने, उत्पीड़ित हिंदुओं के लिए नागरिकता व पुनर्वास नीति, मंदिरों व धार्मिक संपत्तियों का संयुक्त सर्वेक्षण तथा बांग्लादेशी हिंदू समाज से सीधा संवाद तंत्र स्थापित करने जैसी मांगें रखी गईं। संगठनों ने कहा कि भारत, विश्व का सबसे बड़ा हिंदू-बहुल देश होने के नाते, बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए राजनीतिक, कानूनी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस प्रयास करे।

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