
वाराणसी: दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान रेहान नामक मुस्लिम किशोर के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने मारपीट की। घायल अवस्था में किशोर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद परिवार की तहरीर पर मारपीट करने वालों के किलाप FIR दर्ज हुई, लेकिन 30 अप्रैल को पुलिस ने रेहान को थाने बुलाया और पूछताछ के बाद रात 8.30 बजे चालान कर पुलिस लाइन भेज दिया गया। बाद में सामाजिक प्रयासों से जमानत पर छुट गया।
जांच के दौरान रेहान से पुलिसकर्मियों व अन्य प्रशासनिक कर्मियों ने कहा, “दशाश्वमेध आरती के दौरान घाट पर जाने की क्या जरूरत थी?” यह बात उसकी मदद को पहुंचे लोगों ने भी सुनी। साझा संस्कृति मंच का कहना है कि दशाश्वमेध घाट एक सार्वजनिक स्थान है, जो बनारस की साझी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। वहां विदेशी सैलानी, हर धर्म और जाति के लोग आते हैं-तो फिर एक स्थानीय मुस्लिम किशोर के वहां जाने पर सवाल क्यों?
घटना के वक्त ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। रेहान के अनुसार, उसे 5-7 लोगों ने गंगा सेवा निधि कार्यालय में घसीटकर डेढ़ घंटे तक पीटा-इस संस्था की भूमिका की निष्पक्ष जांच अनिवार्य है। इन आपराधिक तत्वों द्वारा कानून हाथ में लेना और CCTV फुटेज उपलब्ध न होना भी कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
इसके अलावा, पुलिस लाइन में रेहान से पूछताछ के लिए आई टीम के एक सदस्य, जिन्होंने सफ़ेद शर्ट व पंजाबी पगड़ी पहनी हुई थी और अपना नाम बताने से इनकार किया, ने रेहान से बंद कमरे में पूछताछ के वक्त अपने परिचय के क्रम में कहा “वे उनके (मारपीट करने वालों के) खास आदमी हैं” यह बयान पुलिस की भूमिका पर गहरे सवाल खड़े करता है. परेशानी यह भी है की हमलावर अब तक गिरफ्तार नहीं हुए।
राज्य को स्वतः संज्ञान लेकर दोषियों के विरुद्ध धार्मिक घृणा फैलाने, हत्या के प्रयास व सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने जैसे अपराधों में सुसंगत धाराओं में कठोरतम कार्यवाही करनी चाहिए।

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