खारटोम: 17 महीने से चल रहे निर्मम गृह युद्ध ने सूडान को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. सूडान की आर्मी अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी अर्द्धसैनिक बल रैपिड एक्शन फोर्सेज से संघर्ष में बुरी तरह उलझी हुई है. हाल में उसने राजधानी खार्तूम में अर्द्धसैनिक बल के ख़िलाफ़ बड़ा जवाबी अभियान शुरू किया है. सेना उन इलाक़ों पर हमले कर रही है जो रैपिड एक्शन फोर्सेज के कब्ज़े में हैं. हालांकि रैपिड एक्शन फोर्सेज का खार्तूम के ज़्यादातर इलाक़ों पर कब्ज़ा है.
आरएसएफ ने इस संघर्ष की शुरुआत में ही खार्तूम के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था, जबकि सेना नील नदी की दूसरी ओर बसे खार्तून से जुड़े शहर ओमडोरमैन पर काबिज है. लेकिन अब भी कई जगहें हैं, जहाँ से लोग दोनों ओर से आ-जा सकते हैं. आजकल वो इनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
‘‘ महिलाओं ने कहा कहाँ है ये दुनिया, आप लोग हमारी मदद क्यों नहीं करते“
सघर्षरत इलाकों से महिलाओं का एक समूह सेना के नियंत्रण वाले इलाक़े के बाज़ार तक चार घंटे पैदल कर चलकर खाना लेने आयी है। यहाँ खाना सस्ता है. ये महिलाएं आरएसएफ के नियंत्रण वाले इलाक़े दार-ए-सलाम से आई हैं. इन महिलाओं का कहना है की उनके पतियों का आजकल घर से निकलना बंद हो गया है. बाहर निकलते ही इन लोगों को आरएसएफ के लड़ाके पकड़कर पीटते हैं. उनकी कमाई छीन ली जाती है. कई बार उनको पकड़ लिया जाता है और छोड़ने के लिए परिवार से फिरौती मांगी जाती है.
इनमें से एक महिला ने कहा, ”हम इसलिए यहां सब कुछ सह कर आए हैं कि हमें अपने बच्चों का पेट भरना है. हम भूखे हैं. हमें खाना चाहिए. उनमें से एक औरत ने कहा की यहां हमारी बेटीओं के साथ रेप हो रहे है, उन्हें घर से उठा लिया जाता है, ये कहते हुए एक महिला रोने लगी. उसने कहा ”कहाँ हैं ये दुनिया वाले. आप लोग हमारी मदद क्यों नहीं करते.”
आपबीती सुनाते ही रोने लगी महिला
महिला ने कहा की यहाँ कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनके साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ. लेकिन वो इसका ज़िक्र नहीं करतीं. इससे क्या फ़र्क़ पड़ जाएगा.”महिलाओं ने कहा, ”आरएसएफ के लोग तो रात में अपने नियंत्रण वाले इलाक़े में लड़कियों को उठा लेते हैं. अगर लड़कियाँ बाज़ार से देर से आती दिख जाती हैं तो आरएसएफ उन्हें पाँच से छह दिनों तक अपने पास रख लेती है.”
इस दौरान महिला का सुबकना जारी था. ये देखकर उनके आसपास की महिलाओं ने रोना शुरू कर दिया. महिला ने कहा की अगर आपकी बच्ची घर से बाहर जाएगी तो आपको उसकी चिंता नहीं होगी? अगर उसे लौटने में देरी हुई तो आप उसे नहीं खोजेंगे? लेकिन आप हमें बताइए हम क्या करें? हमारे हाथ में कुछ नहीं है. हमारी चिंता कोई नहीं करता है. कहाँ है ये दुनिया? आप लोग हमारी मदद क्यों नहीं करते?”
सोर्स – बीबीसी
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