मिर्जापुर। बाल दिवस के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय राजपुर-प्रथम में बच्चों ने अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता को दर्शाते हुए एक अनोखे बाल मेले का आयोजन किया। खास बात यह रही कि मेले की सभी स्टॉल बच्चों ने स्वयं तैयार की—सजावट, सामग्री व्यवस्था, ग्राहकों से संवाद सब कुछ बच्चों ने अपनी जिम्मेदारी पर संभाला।

बच्चों की मेहनत और मासूमियत बनी आकर्षण का केंद्र
हर स्टॉल पर बच्चों की कल्पनाशक्ति, उत्साह और टीमवर्क झलक रहा था। गाँव के लोग भी खरीदार बनकर मेले में पहुंचे और बच्चों का उत्साह बढ़ाया, जिससे उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया।
सीखने का उत्सव बना बाल मेला
यह बाल मेला केवल मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि बच्चों की नेतृत्व क्षमता, संवाद कौशल, गणितीय समझ, रचनात्मकता, सामाजिक व्यवहार को निखारने वाला एक शानदार अवसर बना।
चाचा नेहरू को याद करते हुए बाल दिवस समारोह
विद्यालय की प्रधानाचार्या ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि चाचा नेहरू बच्चों से अपार प्रेम करते थे। इसी कारण उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ भी बने आकर्षण
मेले के साथ ही बच्चों के लिए कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं—
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
- खेल-कूद प्रतियोगिताएँ
- फैंसी ड्रेस शो
- समूह गायन
- चित्रकला
कार्यक्रम के अंत में बच्चों को उपहार भी वितरित किए गए।
विद्यालय की सभी शिक्षिकाएं और स्टाफ कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे।









