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बलिया: न्यायालय के आदेश के बाद गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश

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बलिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) शैलेश पाण्डेय की अदालत ने कन्हैया मिश्र बनाम गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एवं अन्य मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष को अस्पताल और चिकित्सक के खिलाफ FIR दर्ज करने और नियमानुसार विवेचना करने के निर्देश दिए हैं।

यह आदेश प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र सं. 2169/2025 (धारा 173(4) बी.एन.एस.एस.) पर सुनवाई के बाद 26 नवंबर 2025 को पारित किया गया।

क्या है मामला?

प्रार्थी कन्हैया मिश्र ने बताया कि उनकी मां को 14 सितंबर 2024 को बुखार और बाएं घुटने के दर्द की शिकायत के बाद ECHS पॉलीक्लिनिक से रेफर होकर गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, बलिया में भर्ती कराया गया था। उन्हें डॉ. डी. राय (ददन राय) की देखरेख में भर्ती किया गया था।

लगभग एक सप्ताह उपचार के बाद, मरीज के हाथ में समस्या उत्पन्न होने लगी और स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया। हालत गंभीर होने पर परिजन उन्हें बनारस ले गए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को बाईं तरफ का लकवा (Paralysis) हो गया है।

मुख्य आरोप

  • मरीज स्वस्थ हालत में भर्ती हुई थी, लेकिन लापरवाहीपूर्ण इलाज के कारण लकवाग्रस्त हो गई।
  • अस्पताल ने इलाज के दस्तावेज देने से मना कर दिया।
  • बाद में ECHS प्रयागराज से प्राप्त दस्तावेज प्रार्थी के अनुसार जाली निकले।
  • हॉस्पिटल द्वारा तीन अलग-अलग, परस्पर विरोधाभासी डिस्चार्ज समरी जारी की गईं।

कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ

अदालत ने उपलब्ध दस्तावेजों और प्रार्थना पत्र का परीक्षण करके कहा—

  • उपलब्ध कराए गए उपचार दस्तावेज भ्रमित और अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं।
  • एक ही समय के लिए अलग-अलग दस्तावेज स्वभाविक नहीं लगते।
  • एक स्वस्थ व्यक्ति को लकवाग्रस्त दिखाना अस्पताल की घोर लापरवाही का संकेत है।
  • डॉ. डी. राय की लापरवाही के कारण मरीज लकवाग्रस्त हुई — प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट प्रतीत होता है।

न्यायालय ने माना कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विवेचना आवश्यक है।

एफआईआर दर्ज करने का आदेश

CJM शैलेश पाण्डेय ने संबंधित थानाध्यक्ष को निर्देश दिया है कि—

  • विपक्षीगण – डॉ. ददन राय / गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल – के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में FIR दर्ज करें।
  • एफआईआर की प्रति 3 दिनों के अंदर न्यायालय में प्रस्तुत करें।
  • मामले की नियमानुसार विवेचना करते हुए प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में भेजना सुनिश्चित करें।

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