वाराणसी: विश्व प्रतिजैविक जागरूकता सप्ताह (18 से 24 नवंबर) के अवसर पर आईएमएस-बीएचयू के मेडिसिन, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, और सामुदायिक चिकित्सा विभागों ने एसएस हॉस्पिटल के ओपीडी में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इसका उद्देश्य रोगियों और एमबीबीएस छात्रों को प्रतिजैविक दवाओं (एंटीमाइक्रोबियल्स) के सही उपयोग और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) के खतरों के प्रति जागरूक करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत महामना मदन मोहन मालवीय जी की स्मृति में दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर प्रो. गोपाल नाथ (डीन, रिसर्च), प्रो. अशोक कुमार (डीन, अकादमिक्स), और प्रो. एस.एन. सांखवार (डायरेक्टर, आईएमएस-बीएचयू) ने प्रतिजैविक दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग और इसके गंभीर प्रभावों पर चर्चा की। वक्ताओं ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से न केवल रोगियों की जान खतरे में पड़ती है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है।
प्रो. जया चक्रवर्ती ने अपने संबोधन में बताया कि हर साल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के कारण लगभग 3 लाख मौतें होती हैं। उन्होंने इस भ्रांति को तोड़ते हुए कहा कि हर बुखार टायफाइड नहीं होता और एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग करने से बचना चाहिए।
सत्रों के दौरान, प्रो. संगीता कंसल और प्रो. किरण आर. गिरी ने प्रतिजैविक दवाओं के सही उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने समझाया कि इन दवाओं का अनुचित उपयोग एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को बढ़ावा देता है। एमबीबीएस छात्रों ने इस संदेश को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया, जिससे लोगों को सरल भाषा में इसके महत्व को समझाया गया।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. तुहिना बनर्जी ने हैंड वॉशिंग प्रैक्टिस का प्रदर्शन किया और संक्रमण रोकने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस पहल के महत्व को समझाते हुए जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

Author: Ujala Sanchar
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