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बलिया: पुलिस अधीक्षक ने किया प्रेस वार्ता का आयोजन, नए आपराधिक कानूनों पर पत्रकारों से किया जन-जागरूकता का आह्वान

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बलिया। जनपद बलिया के रिजर्व पुलिस लाइन सभागार में आज पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह द्वारा जन-जागरूकता अभियान के तहत प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस अवसर पर जनपद के सभी सम्मानित पत्रकार बंधु उपस्थित रहे। प्रेस वार्ता का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को नए अपराधिक कानूनों — भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA-2023) के प्रावधानों के प्रति जागरूक करना था।

नए आपराधिक कानूनों की जानकारी

पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लागू किए गए ये तीनों नए कानून — BNS, BNSS और BSA — भारतीय न्याय व्यवस्था को अधिक आधुनिक, सशक्त और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं।

भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023)

  • महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए सख्त दंड का प्रावधान।
  • संगठित अपराधों की स्पष्ट परिभाषा (धारा 111) — अपहरण, जमीन कब्जा, साइबर अपराध आदि को शामिल किया गया।
  • हिट एंड रन मामलों में सजा बढ़ाकर 10 वर्ष तक की गई (धारा 106)।
  • आतंकी गतिविधियाँ अब पहली बार BNS की धारा 113 में अपराध घोषित।
  • गलत सूचना फैलाने पर दंड (धारा 353) — भ्रामक या उकसाने वाली खबरें फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई।
  • फर्जी खबरों को (धारा 197) भारत की संप्रभुता के खिलाफ अपराध माना गया।
  • यौन अपराधों के दायरे का विस्तार — धोखे से संबंध बनाना (धारा 69) और गैंग रेप में उम्र सीमा 18 वर्ष तक बढ़ाई गई (धारा 70)।
  • सामुदायिक सेवा को दंड के एक नए रूप में जोड़ा गया।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS-2023)

  • कुल 39 अध्याय और 531 धाराएँ; पुरानी CrPC से अधिक व्यापक।
  • ई-एफआईआर की सुविधा — अब पीड़ित कहीं से भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई और बयान रिकॉर्डिंग की व्यवस्था।
  • फोरेंसिक जांच अनिवार्य, जिससे जांच वैज्ञानिक और साक्ष्य आधारित होगी।
  • जीरो एफआईआर व्यवस्था — किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
  • डिजिटल साक्ष्यों को जांच का हिस्सा बनाया गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA-2023)

  • कुल 170 धाराएँ, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को वैधानिक मान्यता दी गई।
  • आपत्तिजनक और औपनिवेशिक शब्दों को हटाकर आधुनिक और सम्मानजनक भाषा का प्रयोग।
  • संयुक्त मुकदमों के नियमों को स्पष्ट किया गया — यदि कोई अभियुक्त फरार हो जाए, तब भी मुकदमा जारी रहेगा।

प्रेस वार्ता का उद्देश्य

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन कानूनों का उद्देश्य अपराध नियंत्रण के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा, पारदर्शी जांच प्रक्रिया, और शीघ्र न्याय सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग लगातार जनजागरूकता अभियान चलाकर नागरिकों को इन नए प्रावधानों से अवगत कराएगा।

कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी

इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) कृपा शंकर, अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) दिनेश कुमार शुक्ल, प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक सुधीर कुमार सिंह, प्रतिसार निरीक्षक राम बेलास, पीआरओ पुलिस अधीक्षक रत्नेश दूबे सहित सभी सम्मानित पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।

रिपोर्ट: आनंद मोहन मिश्र

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