रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर झारखंड में कार्यरत कोयला कंपनियों पर राज्य का बकाया 01 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र की प्रतियां बुधवार काे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा कि हमारी मांग सिर्फ न्याय की है, विशेषाधिकार की नहीं।
सीएम ने कहा की झारखंड के लोगों ने अपने राज्य के लिए लंबा संघर्ष किया है और अब हम चाहते हैं कि हमारे संसाधनों एवं अधिकारों का उचित उपयोग हो। उन्होंने कहा कि झारखंडियों का हक मांगो तो ये जेल डाल देते हैं लेकिन अपने हक के लिए हर कुर्बानी मंजूर है। सीएम ने बकाया राशि का भुगतान करने के लिए पीएम मोदी के सामने दो विकल्प रखे हैं। पहला जब तक बकाया राशि का भुगतान किस्तों में नहीं हो जाता तब तक कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना शुरू किया जाये। दूसरा, भारतीय रिजर्व बैंक में कोल इंडिया के खाते में जमा राशि से झारखंड राज्य को सीधे डेबिट कराया जाये।
सीएम सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि बकाया का भुगतान जल्द शुरू कराया जाये, ताकि झारखंड के लोगों को परेशानी न हो। साथ ही इस गरीब आदिवासी राज्य की बेहतरी के लिए राज्य सरकार सामाजिक और आर्थिक परियोजनाओं की संख्या और गति बढ़ा सके। यदि कोयला कंपनियों द्वारा राज्य के वैध बकाया का समय पर भुगतान कर दिया जाता है, तो झारखंड के लोग सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। ऐसा होने पर गरीबी से लड़ने और राज्य के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करने में मदद मिलेगी।
सीएम सोरेन ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
पत्र में हेमंत सोरेन ने खनन रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों के एक फैसले का हवाला भी दिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को खनिज युक्त जमीन पर रॉयल्टी के लिए पिछला बकाया वसूलने का अधिकार है। बकाया के संबंध में कानून में प्रावधान और न्यायिक आदेशों के बावजूद कोयला कंपनियां कोई भुगतान नहीं कर रही है, जिसके कारण झारखंड को भारी नुकसान हुआ है। लंबित मांगों का सवाल विभिन्न मंचों, प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और अन्य मंचों पर उठाये जाने के बावजूद हमें अभी तक भुगतान मिलना शुरू नहीं हुआ है। अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है।
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