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उत्तर प्रदेश में डेयरी क्रांति ग्रामीण समृद्धि को दे रहा नई दिशा: अपर्णा श्रीवास्तव

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डेयरी क्षेत्र अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनता जा रहा है। जिस प्रदेश की पहचान लंबे समय तक कृषि प्रधान राज्य के रूप में रही, वही आज देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य बनकर उभरा है। सरकार की योजनाओं, निवेश प्रोत्साहनों और किसानों की बढ़ती जागरूकता ने इस क्षेत्र को एक सशक्त ग्रामीण उद्योग का रूप दे दिया है।

दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश का परचम

वर्ष 2023–24 में उत्तर प्रदेश ने लगभग 388 लाख टन (38.8 मिलियन टन) दूध का उत्पादन किया है, जो देश के कुल उत्पादन का 16 प्रतिशत है।
प्रदेश में लगभग 6.8 करोड़ पशुधन हैं, जिनमें गाय और भैंसों की संख्या सर्वाधिक है। यह आँकड़ा इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश के किसान अब केवल खेती तक सीमित नहीं, बल्कि पशुपालन और डेयरी व्यवसाय में आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

सरकारी योजनाओं से डेयरी उद्योग को नई गति

राज्य सरकार ने डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं —

1-मुख्यमंत्री नंद बाबा दुग्ध मिशन

2-राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम

3-राष्ट्रीय पशुधन मिशन

4-डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड

इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को पशुधन बीमा, ठंडा करने के केंद्र, प्रशिक्षण, और विपणन सहायता जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे गाँवों में डेयरी उद्योग को नई दिशा मिली है।

ग्राम्य जीवन में अवसरों का नया द्वार

डेयरी व्यवसाय अब ग्रामीण परिवारों की दैनिक आय का सबसे भरोसेमंद स्रोत बन गया है। जहाँ पहले किसान केवल फसल पर निर्भर रहते थे, अब वही किसान दूध, घी, पनीर और छाछ जैसे उत्पादों से अपनी आय को कई गुना बढ़ा रहे हैं।

इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। स्व-सहायता समूहों और महिला डेयरी समितियों के माध्यम से महिलाओं ने न केवल आत्मनिर्भरता, बल्कि सम्मान और आर्थिक स्थिरता भी हासिल की है।

निवेश और नवाचार से सशक्त हो रहा क्षेत्र

नवचेतना कृषक उत्पादक संगठन जैसे किसान समूह अब आधुनिक डेयरी प्रबंधन, स्वचालित दूध संग्रह केंद्र, पशु-फीड उत्पादन इकाइयाँ, और कोल्ड चेन नेटवर्क की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
सरकारी सहयोग और निजी निवेश के बल पर छोटे किसान भी अब ग्लोबल क्वालिटी के उत्पाद तैयार करने में सक्षम हो रहे हैं।

चुनौतियाँ और समाधान

हालाँकि चारे की कमी, पशु स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता और कोल्ड चेन नेटवर्क जैसी चुनौतियाँ हैं, परन्तु राज्य सरकार और किसान संगठन मिलकर इनके समाधान पर कार्य कर रहे हैं।
चारा मिशन, टीकाकरण अभियान, और दुग्ध समितियों का सुदृढ़ नेटवर्क किसानों के लिए नई ऊर्जा लेकर आया है।

ग्रामीण आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

आज उत्तर प्रदेश के गाँवों में हजारों परिवार अपने पशुधन से नियमित आय अर्जित कर रहे हैं। वे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और गाँवों के विकास में निवेश कर रहे हैं।
डेयरी अब केवल दूध उत्पादन नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, रोजगार और आर्थिक स्थिरता का प्रतीक बन चुकी है।

नवचेतना एफपीओ की चेयरपर्सन अपर्णा श्रीवास्तव का कहना है — “उत्तर प्रदेश की डेयरी क्रांति ग्रामीण भारत की नई दिशा है। यह केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर गाँवों की ओर बढ़ता हुआ आंदोलन है।”

रिपोर्ट : अपर्णा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन, नवचेतना कृषक उत्पादक संगठन, उत्तर प्रदेश

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