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वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना के निरस्तीकरण की उठी मांग, व्यापारियों व स्थानीय लोगों ने जताई गंभीर आपत्तियां

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वाराणसी: दालमंडी क्षेत्र में प्रस्तावित चौड़ीकरण परियोजना को लेकर स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों में गहरी नाराज़गी देखी जा रही है। प्रभावित लोग इस परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह योजना न सिर्फ हजारों परिवारों को विस्थापन की कगार पर ला देगी, बल्कि धार्मिक वक्फ संपत्तियों और सामाजिक सौहार्द पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगी।

प्रभावित लोगों के प्रमुख तर्क —

1. हजारों मकान-दुकानों पर संकट
स्थानीय निवासियों के अनुसार प्रस्तावित चौड़ीकरण से लगभग दो सौ मकान और करीब दस हजार दुकानों पर असर पड़ेगा। इससे प्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी प्रभावित होगी। लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में प्रभावित परिवारों का उचित मुआवजा, पुनर्वास और पुनर्स्थापन सरकार के लिए व्यावहारिक रूप से संभव नहीं दिखाई देता।

2. धार्मिक स्थलों और वक्फ संपत्तियों पर प्रभाव
परियोजना के दायरे में आने से छह मस्जिदों सहित कई वक्फ संपत्तियाँ प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। स्थानीय मुस्लिम समाज और उलेमा का कहना है कि इससे धार्मिक आस्था को चोट पहुँचेगी और सामाजिक सामंजस्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

3. समुदाय के साथ संवाद न होने का आरोप
प्रभावितों का आरोप है कि परियोजना से पहले न तो मुस्लिम समाज, न ही व्यापारियों या स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ किसी भी प्रकार की औपचारिक वार्ता की गई है। किसी प्रकार का सम्मानजनक या व्यावहारिक समाधान भी प्रशासन की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है।

4. व्यापार पर गहरा संकट
दालमंडी एक प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है। व्यापारियों का कहना है कि चौड़ीकरण परियोजना लागू होने पर सबसे अधिक नुकसान व्यापार को होगा, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका संकट में पड़ जाएगी।

स्थानीय लोगों की मांग
प्रभावित नागरिकों ने पत्रक जारी कर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि—

  • दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाए।
  • यदि कोई विकास योजना हो, तो पहले सभी प्रभावित पक्षों से विस्तृत संवाद और सहमति ली जाए।
  • व्यापारिक, सामाजिक और धार्मिक संरचना को सुरक्षित रखते हुए वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत किया जाए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि दालमंडी की भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए यह परियोजना व्यवहारिक नहीं है और इससे क्षेत्र के सामाजिक ताने-बाने के साथ-साथ आर्थिक व्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ेगा।

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