वाराणसी : जहां एक ओर सनातन संस्कृति की अनोखी परंपरा जिसमें पितरों को श्रद्धा पूर्वक स्मरण कर तर्पण करने का पावन अवसर पितृ पक्ष चल रहा हो। वहीं दूसरी ओर सनातनी आस्था के केंद्र रहे प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी प्रेरक चौपाईयों को श्री आदि रामलीला लाट भैरव वरुणा संगम काशी की लीला में जीवंत होता देख हर किसी की आंखे भर आईं।
पिता के दिए वचनों के पालन हेतु आज्ञाकारी पुत्र ने सर्वस्व त्याग कर वल्कल धारण किए जब वन की ओर प्रस्थान किया तो पूरी अयोध्या रो पड़ी। ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो अयोध्या श्रीहीन हो चुकीं हो। माताओं का शुभाशीष प्राप्त कर गुरु चरणों में प्रणाम अर्पित करते हुए राम 14 वर्ष के लिए वनगमन के लिए निकले तो पितृ भक्ति, भातृत्व प्रेम, पति के प्रति आराध्य भाव यह सब एकाकार होते दिखाई पड़ने लगा। राम के साथ पत्नी सीता भाई लक्ष्मण ने भी वन जाने का निश्चय किया।

सीता वन को ना जाएं इसलिए वन के भयावह दृश्यों को हर किसी ने अलग अलग प्रकार से खूब कहा लेकिन सभी प्रयास असफल रहे। राम का श्रृंगवेरपुर में निषादराज से मिलन हुआ और पर्णकुटी में रात्रि विश्राम हेतु रुके। उधर दशरथ ने सुमंत को इस आशा के साथ भेजा कि शायद वो सीता को मनाकर वापस ले आ सकें। अगले दिन घंडईल पार की लीला का मंचन किया जाएगा।समिति की ओर से व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, सह व्यास पंकज त्रिपाठी, प्रधानमंत्री कन्हैयालाल यादव, केवल कुशवाहा, श्याम सुंदर, रामप्रसाद मौर्य, संतोष साहू, धर्मेद्र शाह, शिवम अग्रहरि आदि रहे।

Author: Ujala Sanchar
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