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Dhanvantri ji ki aarti: स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु का वरदान पाने का सरल उपाय

dhanvantri ji ki aarti

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धन्वंतरि की जो है हमको आयुर्वेद के देवता और भगवान विष्णु जो है उनका एक अवतार माना गया है उसी के रूप में उनकी पूजा करते हैं ऐसा भी कहा गया है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तब उसे समय धन्यवाद भेजे थे वह अमृत कलश के साथ में प्रकट हुए थे जिससे कि जितने भी देवता थे और जितने भी मानव जाति थे उनको की अमरता का वरदान मिला था धनतेरस के दिन उनकी पूजा बहुत ही खास रूप से की जाती है क्योंकि इस दिन को स्वस्थ समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना गया है धन्वंतरि जी की जो आरती है उसको गाने से आप सभी व्यक्ति का जो स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ परेशानी है वह सब दूर हो जाता है और आपके जीवन में अच्छी ऊर्जा का भी संचार होता है।

धन्वंतरि जी की जो आरती है उसका पाठ करने से आप सभी व्यक्ति मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार मिलेगा यह जो आती है न केवल शारीरिक रोग से रक्षा करता है बल्कि आपके मन को भी शांत करता है और सुकून प्रदान करता है आरती के जरिए से आप भगवान धन्वंतरि से अपने स्वास्थ्य की रक्षा लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं उनका जो आशीर्वाद है उसे आपके जीवन में निरोग और स्वस्थ रहने की प्रेरणा भी मिलती है।

आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा|

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा
||जय धन्वं.||

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए|

देवासुर के संकट आकर दूर किए
||जय धन्वं.||

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया|

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया
||जय धन्वं.||

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी|

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी
||जय धन्वं.||

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे|

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे
||जय धन्वं.||

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा|

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा
||जय धन्वं.||

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे|

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे
||जय धन्वं.||

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