सोनभद्र: उप कृषि निदेशक कार्यालय द्वारा जारी तबादला आदेश के बावजूद तीन प्राविधिक सहायक (ग्रुप-सी) कर्मचारी अब तक अपने नए कार्यस्थल पर नहीं पहुँचे हैं। आदेशों की इस खुलेआम अवहेलना ने किसानों में आक्रोश फैला दिया है और विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बड़े किसान बेहाल, छोटे किसानों का मुनाफा
भाजपा किसान मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी ई. प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि बड़े किसान खाद के लिए परेशान हैं, जबकि छोटे किसान बार-बार लाइन लगाकर एक-एक बोरी खाद ले रहे हैं और फिर उसे ब्लैक में बेचकर फायदा कमा रहे हैं।
“बड़े किसानों की ज़रूरत पूरी नहीं हो पा रही, वहीं छोटे किसान इस गड़बड़ी से मुनाफा कमा रहे हैं। इससे किसानों में गुस्सा और सरकार की छवि खराब हो रही है।”
खाद वितरण में धांधली और ब्लैक मार्केटिंग
- सहकारी समितियों में खाद की उपलब्धता को लेकर हालात बेहद खराब हैं।
- बड़े किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही।
- छोटे किसान बार-बार लाइन लगाकर खाद उठाकर काला बाज़ार में बेच रहे हैं।
- वास्तविक ज़रूरतमंद किसान वंचित रह जा रहे हैं।
गोदाम इंचार्ज पर आरोप
करमा ब्लॉक के गोदाम इंचार्ज रामेश्वर सिंह पर पहले से ही गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे सरकार द्वारा प्रदर्शनी हेतु दिए गए बीज भी पैसों के बदले बेच देते हैं। कृषि सहायक सुरेंद्र जी और उच्च अधिकारियों को बार-बार शिकायत देने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सख्त कार्रवाई की मांग
किसान संगठनों का कहना है कि तबादला आदेश की अवहेलना करने वाले कर्मचारी अपने ‘मलाईदार पद’ छोड़ना नहीं चाहते। उनकी मनमानी और लापरवाही से सरकारी योजनाएँ प्रभावित हो रही हैं। संगठनों ने मांग की है कि दोषी कर्मचारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई और उच्च स्तरीय जांच हो, ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान हो और विभाग की साख बहाल हो सके।

Author: Ujala Sanchar
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