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अश्विन माह का पहला रवि प्रदोष व्रत: पूजा विधि और लाभ

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अश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत इस बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को, यानी 29 सितंबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष अवसर है और इस महीने का यह अंतिम प्रदोष व्रत होगा। हर महीने प्रदोष व्रत दो बार आता है, और इस बार इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा क्योंकि यह रविवार को मनाया जा रहा है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष, प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 6:09 बजे से शुरू होकर रात 8:34 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान, शिव भक्तों को पूजा करने के लिए लगभग ढाई घंटे का समय मिलेगा।

साध्य योग और नक्षत्र

29 सितंबर को उपवास रखने वाले भक्तों के लिए यह दिन बहुत खास होगा। इस दिन साध्य योग प्रात:काल से लेकर रात 12:28 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, प्रदोष के दिन मघा नक्षत्र भी होगा, जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है।

शिव पूजा के लिए मंत्र

शिव पूजा के दौरान सबसे सरल और प्रभावशाली मंत्र है—“ॐ नमः शिवाय”। इस मंत्र का उच्चारण करने से पूजा का प्रभाव बढ़ता है। पूजा के अंत में शिव आरती करना न भूलें, जिससे पूजा की कमियों का निवारण होता है।

रवि प्रदोष व्रत के लाभ

प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की कृपा से अनेक रोग, कष्ट, और दुख दूर हो जाते हैं। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है और उसे धन, संपत्ति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस रवि प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करिए और अपने जीवन को सुखमय बनाइए!

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