गाजीपुर। जिले के मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के यूसुफपुर स्थित माता महाकाली मंदिर परिसर में चल रहे श्रीराम कथा अमृत वर्षा महोत्सव में कथा व्यास साध्वी साधना जी ने अपने दिव्य प्रवचन से श्रद्धालुओं को कर्म के महत्व का बोध कराया। उन्होंने कहा कि “कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा” — यह पंक्ति मानव जीवन की सच्चाई और धर्म का सार बताती है।
साध्वी साधना जी ने कहा कि यह सृष्टि कर्म और उसके फल के सिद्धांत पर आधारित है। जब भगवान ने संसार की रचना की, तब उन्होंने यह अटल नियम बना दिया कि जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल अवश्य भोगेगा। इसी नियम से यह जगत क्रमबद्ध और संतुलित रूप से संचालित होता है।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान ने हर जीव को कर्म करने की स्वतंत्रता दी है, लेकिन कर्म के परिणाम से कोई भी मुक्त नहीं हो सकता — स्वयं भगवान भी नहीं। साध्वी जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ने जब छिपकर बालि वध किया, तो उसी कर्म का फल उन्हें श्रीकृष्ण अवतार में अपने वध के रूप में भोगना पड़ा।
उन्होंने राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि कर्मफल का सिद्धांत अटल और न्यायसंगत है। राजा दशरथ ने गलती से श्रवण कुमार पर बाण चलाया था, जिसके कारण उन्हें श्राप मिला कि वे भी पुत्र-वियोग की वेदना सहेंगे। यही कारण था कि भगवान श्रीराम के वनवास के बाद दशरथ जी का पुत्र-वियोग में देहांत हुआ।
साध्वी जी ने भक्तों को संदेश दिया कि मनुष्य को अपने कर्मों के प्रति सदैव सजग, सतर्क और जिम्मेदार रहना चाहिए। बुरा कर्म करने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा “भगवान अपने पिता को भी कर्मफल से मुक्त नहीं कर सके, तो हम कैसे बच सकते हैं? इसलिए अच्छा कर्म करें, क्योंकि कर्म ही महान है, कर्म ही जीवन का सच्चा आधार है।”
कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त भावविभोर होकर कथा श्रवण करते रहे। वातावरण ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से गूंजायमान हो उठा।
ब्यूरो चीफ – संजय यादव









