वाराणसी। मां अन्नपूर्णा के 17-दिवसीय महाव्रत का बुधवार को भव्य उद्यापन हुआ। इस अवसर पर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए किसानों ने अपनी नई फसल की पहली धान की बालियां मां के चरणों में अर्पित की। इन बालियों से काशी स्थित मां अन्नपूर्णा के प्रसिद्ध मंदिर का भव्य श्रृंगार किया गया।
मंदिर परिसर को इस दिन विशेष रूप से सजाया गया। कई कुंतल धान की बालियों से पूरा प्रांगण और माता का दरबार अलंकृत किया गया, जबकि अन्य विग्रहों का भी पारंपरिक रीति से शृंगार किया गया। इस दृश्य को देखने के लिए हजारों भक्त मंदिर पहुंचे और माता के दर्शन करने के लिए कतार में खड़े रहे।
परंपरा के अनुसार, किसान वर्ष की पहली धान की उपज देवी को अर्पित कर समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। महाव्रत में शामिल भक्त पूरे 17 दिनों तक कठिन नियमों का पालन करते हैं। इस दौरान भक्त 17 गांठ और 17 धागे धारण करते हैं और केवल एक समय बिना नमक का फलाहार ग्रहण करते हैं। व्रत के दौरान निरंतर माँ अन्नपूर्णा की आराधना होती है और उद्यापन के दिन विशेष पूजा, आरती और भोग अर्पित किया जाता है।
महंत शंकर पुरी ने बताया कि यह प्राचीन परंपरा वर्षों से काशी में चली आ रही है। उनका कहना है कि इस व्रत से न केवल अन्न-धन की वृद्धि होती है, बल्कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। किसानों द्वारा पहली फसल अर्पित करने की यह परंपरा कृषि संस्कृति और आस्था का अनूठा संगम है, जो काशी की आध्यात्मिक विरासत को मजबूती देती है।






