चमोली: उत्तराखण्ड के प्रमुख धार्मिक केन्द्र ज्योतिर्मठ में मंगलवार से ‘हमारु ज्योतिर्मठ–हमारु परिवार–हमारु समोण पर्व’ का आयोजन शुरू हुआ। इस पर्व के तहत नगर की मातृशक्ति द्वारा पारम्परिक व्यंजन रोट और आड़सा तैयार किए गए हैं, जिन्हें आगामी दिनों में पूरे नगर में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।

शंकराचार्य जी महाराज का भव्य स्वागत
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद जब जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ‘1008’ ज्योतिर्मठ पहुँचे, तो नगरवासियों और 35 से अधिक महिला मंगल दलों ने उनका भव्य स्वागत किया।

शंकराचार्य जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि “प्रतिवर्ष एक दिन ऐसा होना चाहिए जब हम सभी भेदभाव से ऊपर उठकर एक परिवार की तरह एकत्र हों।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि ज्योतिर्मठ के संन्यासी और ब्रह्मचारी नगर के प्रत्येक घर में जाकर यह प्रसाद वितरित करेंगे।
नगर को मिला अपना प्राचीन नाम
ज्योतिर्मठ को लंबे समय से लोग ‘जोशीमठ’ के नाम से जानते थे। परमाराध्य शंकराचार्य जी महाराज की प्रेरणा तथा समाज के लोगों की पहल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर को पुनः उसका ऐतिहासिक नाम ‘ज्योतिर्मठ’ प्रदान किया। इसी भाव को जीवंत करने और नगर की एकता को दर्शाने हेतु सामूहिक रूप से समोण पर्व की शुरुआत की गई है।
डोली आगमन पर होगा प्रसाद वितरण
दो दिन बाद जब आदि शंकराचार्य जी महाराज की डोली नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ पहुँचेगी, तभी पूरे नगर में रोट–आड़सा का प्रसाद वितरित किया जाएगा। आयोजकों का दावा है कि ज्योतिर्मठ में रहने वाले हर व्यक्ति तक यह प्रसाद पहुँचाया जाएगा।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व
वहीं आज के कार्यक्रम में स्वामी प्रत्यक्चैतन्यमुकुन्दानन्द गिरि, सहजानन्द ब्रह्मचारी, विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी, अजय पाण्डेय, आनन्द सती, कुशलानन्द बहुगुणा, शिवानन्द उनियाल, अनिल डिमरी, समीर डिमरी, महिमानन्द उनियाल, जगदीश उनियाल, सन्तोष सती, अभिषेक बहुगुणा, दिवाकर भट्ट, प्रवीण नौटियाल, शिवम पाण्डेय सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।






