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बांग्लादेश में बढ़ता तनाव: भारतीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर चिंता, भारत ने जताई कड़ी आपत्ति

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ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश में हाल के दिनों में राजनीतिक और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, एक विवादित राजनीतिक कार्यकर्ता शरीफ उस्मान हादी की मृत्यु के बाद राजधानी ढाका सहित कई शहरों में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान भारत-विरोधी नारेबाजी, तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।

सूत्रों के मुताबिक, शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश इंकलाब मंच से जुड़ा हुआ था और वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभा चुका था। बताया जा रहा है कि 12 दिसंबर 2025 को ढाका में एक मस्जिद से निकलते समय उस पर अज्ञात हमलावरों ने गोली चलाई, जिसके बाद गंभीर हालत में उसे सिंगापुर ले जाया गया। इलाज के दौरान 18 दिसंबर को उसकी मौत हो गई।

हादी की मौत की खबर फैलते ही उसके समर्थकों ने ढाका समेत कई इलाकों में प्रदर्शन शुरू कर दिए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ स्थानों पर प्रदर्शन हिंसक हो गए, जहां भारत-विरोधी नारे लगाए गए और कथित तौर पर हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। इसके अलावा, शेख हसीना की पार्टी से जुड़े कार्यालयों और कुछ मीडिया संस्थानों में आगजनी की घटनाओं की भी खबरें हैं।

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब चटगांव में स्थित Indian High Commission Dhaka के एक भवन पर पत्थरबाजी की गई और वहां कार्यरत अधिकारियों को धमकियां मिलने की बात सामने आई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हादी पर हमला करने वाले लोग भारत भाग गए और उन्हें वहां शरण दी जा रही है, हालांकि इस दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किया गया है।

इन घटनाओं पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और बांग्लादेश सरकार से भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठानों व नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अगर भारतीय अधिकारियों या नागरिकों को कोई नुकसान पहुंचता है, तो भारत उचित कदम उठाने के लिए बाध्य होगा।

वहीं, बांग्लादेश सरकार ने स्थिति पर नजर रखने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है। इस बीच, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए राजनयिक संवाद, अफवाहों पर नियंत्रण और अल्पसंख्यकों व राजनयिक मिशनों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। फिलहाल, हालात संवेदनशील बने हुए हैं और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संयम व सहयोग की आवश्यकता बताई जा रही है।

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