टोक्यो / दिल्ली: जापान सरकार ने देश में मुसलिमों के लिए नए कब्रिस्तानों (मस्जिद-कब्रिस्तान) की जमीन देने की मांग को ठुकरा दिया है। सरकार का कहना है कि शहरों में जमीन की भारी कमी है और इसलिए नई कब्रगाह बनाना व्यावहारिक नहीं है।
सरकारी तर्क में बताया गया है कि जापान में शवदाह (Cremation) की प्रथा प्रचलित है — लगभग 99 % अंतिम संस्कार दाह संस्कार के जरिए होते हैं — इसलिए मुस्लिमों को दफनाने की सुविधा देना सरकार के लिए तर्कसंगत नहीं है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर मुसलमानों को अपनी धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार दफन करना है, तो उन्हें अपने मृतक परिजनों के शव या अवशेष (हड्डियाँ आदि) उनके मूल देश भेजने होंगे।
यह फैसला जापान में रह रहे प्रवासी मुसलमानों — और उन मुसलमानों के लिए जो नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं — के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि इस्लाम धर्म में दफन की प्रथा को अहम माना जाता है। अब कई परिवारों को अपने मृतक परिचितों को उनकी मातृभूमि भेजकर दफनाना पड़ सकता है।
अगर आप चाहें, तो मैं जापान में मुस्लिमों की वर्तमान आबादी, कब्रिस्तानों की स्थिति, और अब तक किस-किस प्रान्त/शहर में इस विवाद की प्रतिक्रिया हुई है — इन सब पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सकता हूँ।









