कृष्णा जी की आरती: भक्ति और शांति का जरिया

श्री कृष्ण जी हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। उनका जीवन और उपदेश आज भी सब लोगों को प्रेरणा देते हैं। श्री कृष्ण की आरती गाने से मन को शांति मिलती है और भक्तों का भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति गहरी होती है। आरती में भगवान की महिमा गाकर भक्त उन्हें याद करते हैं और उनसे शक्ति और आशीर्वाद पाते हैं। इससे भक्तों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस मिलता है और दिल में शांति का अनुभव होता है।

आरती

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला !

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला !

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली !

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

!! आरती कुंजबिहारी की…!!

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं !

गगन सों सुमन रासि बरसै !

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की !!

!! आरती कुंजबिहारी की…!!

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा !

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की !!

!! आरती कुंजबिहारी की…!!

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू !

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

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चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की !!

!! आरती कुंजबिहारी की…!!

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

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