
राम जी की आरती भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक जरूरी हिस्सा है। यह आरती भगवान राम को समर्पित होती है। जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। भगवान राम का जीवन और शिक्षाएं हमें सत्य, धर्म और निष्ठा का पाठ पढ़ाती हैं। उनकी आरती गाने से भक्तों में भक्ति की भावना जागृत होती है और मन में शांति और संतोष की अनुभूति होती है।
आरती
हे राजा राम तेरी आरती उतारूं
आरती उतारूं प्यारे तन मन वारूं,
कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल छबि को सदा निहारूं,
।।हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..।।
बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
।।हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..।।
आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हृदय में उतारू,
।।हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..।।
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
वंदन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
।।हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..।।
दोहा-
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं |
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ||1||
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं |
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ||2||
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं |
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ||3||
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं |
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ||4||
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं |
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ||5||
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो |
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ||6||
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली|
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ||7||
||सोरठा||
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि |
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे|

Neha Patel is a content and news writer who has been working since 2023. She specializes in writing on religious news and other Indian topics. She also writes excellent articles on society, culture, and current affairs.