भगवान गणेश: प्रथम पूजनीय और परिवार से मिलने वाली सीखें

हिंदू धर्म में गुरु को माता-पिता से ऊपर माना जाता है, और यह महत्वपूर्ण सीख सबसे पहले भगवान गणेश जी ने पूरे ब्रह्मांड को दी। हर शुभ कार्य से पहले गणेश मंत्र के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। सवाल उठता है कि भगवान शिव जैसे महान देवता के पुत्र होते हुए भी सबसे पहले पूजा गणपति की क्यों होती है? इसके पीछे एक खास कहानी छिपी है, जो हमें जीवन में माता-पिता और परिवार के महत्व को समझाती है।

गणेश जी को प्रथम पूजनीय क्यों माना गया?

हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है, तो सबसे पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पूजा से बुद्धि में वृद्धि होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। लेकिन गणेश जी के पहले पूजनीय बनने की कहानी बेहद रोचक और प्रेरणादायक है।

एक बार सभी देवता भगवान शिव के पास आए और उनसे पूछा कि सबसे पहले किस देवता की पूजा की जानी चाहिए। भगवान शिव ने कहा कि जो सबसे पहले संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा करके लौटेगा, वही सबसे पहले पूजनीय होगा। बाकी देवताओं ने अपनी सवारी लेकर परिक्रमा शुरू कर दी, लेकिन गणेश जी ने कुछ अलग किया। उन्होंने अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा की और कहा कि मेरे लिए आप दोनों ही पूरे ब्रह्मांड के समान हैं। शिव जी ने गणेश जी की इस समझदारी और भक्ति को देखकर उन्हें प्रथम पूजनीय का आशीर्वाद दिया। तब से गणेश जी को हर शुभ कार्य में सबसे पहले पूजा जाता है।

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माता-पिता का सम्मान: गणपति जी की सीख

गणेश जी की कहानी हमें सिखाती है कि माता-पिता से बड़ा कोई नहीं होता। जब इंसान अकेला होता है, तो छोटी-छोटी समस्याएं भी उसे परेशान कर देती हैं, लेकिन परिवार के साथ होने पर बड़े से बड़े संकट भी आसानी से पार किए जा सकते हैं। गणेश जी से यह भी सीख मिलती है कि एकता में ही ताकत है, और परिवार से मिलने वाला सहयोग हमें हर कठिनाई से लड़ने की शक्ति देता है।

पूरी लगन से काम करना: गणेश जी का उदाहरण

गणपति जी ने हमेशा अपने कार्यों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ किया। एक बार भगवान शिव ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं और ऋषियों को बुलाना था। समय कम था, इसलिए यह जिम्मेदारी गणेश जी को सौंपी गई। गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता से एक ही दिन में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित कर दिया। यह घटना हमें सिखाती है कि माता-पिता के कहे का पालन करना हर संतान का कर्तव्य होना चाहिए। उनकी खुशी में ही हमारी असली खुशी छिपी है।

अंतिम सीख: परिवार की अहमियत

भगवान गणेश की कहानी और उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में परिवार का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता का आदर और उनके प्रति समर्पण जीवन में सफलता और सुख का मार्ग है। गणपति जी की भक्ति और उनकी जीवन शैली हमें यह सिखाती है कि परिवार और परिश्रम से ही जीवन के सभी संकटों का सामना किया जा सकता है।

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