बलिया। भारतीय दर्शन के प्रख्यात विशेषज्ञ डॉ. विद्यासागर उपाध्याय को मौन तीर्थ हिंदी विद्यापीठ की अकादमिक परिषद ने आगामी 15 दिसंबर को आयोजित होने वाले श्रद्धा पर्व के अवसर पर ‘वेद महामहोपाध्याय’ की मानक उपाधि से अलंकृत करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में औपचारिक पत्र प्राप्त होने के बाद विद्वत समाज में हर्ष और गौरव का वातावरण व्याप्त है।
महामहोपाध्याय की उपाधि का विशेष महत्व रहा है। प्राचीन काल में शास्त्रों से संबद्ध विषयों पर मौलिक ग्रंथों की रचना करने वाले महान विद्वानों को यह सर्वोच्च अकादमिक सम्मान प्रदान किया जाता था। इसका आशय “महान पंडितों से भी महान” विद्वान से है।
डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा और वेदांत दर्शनों के आधार पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की है। उनकी प्रमुख कृतियों में मृत्यु मिमांसा, अवेस्ता एवं वेद, गीता तत्व चिंतन तथा अहम् ब्रह्मास्मि शामिल हैं, जिन्होंने देश-विदेश के विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. उपाध्याय को इससे पूर्व भी कई प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। इनमें उज्जैन से वेद विद्या मार्तंड, हिंदी भाषा भूषण मानक उपाधि, नाथद्वारा से उत्कृष्ट दार्शनिक सम्मान, संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश द्वारा वेदांत भीष्म उपाधि तथा बांकुड़ा द्वारा सम्मान शामिल हैं।
विद्वानों और साहित्यकारों ने मौन तीर्थ हिंदी विद्यापीठ के इस निर्णय को भारतीय ज्ञान-परंपरा और दर्शन के क्षेत्र में डॉ. विद्यासागर उपाध्याय के अतुलनीय योगदान का यथोचित सम्मान बताया है। यह अलंकरण न केवल उनके व्यक्तिगत साधना-पथ का सम्मान है, बल्कि भारतीय दर्शन की समृद्ध परंपरा के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण माना जा रहा है।
बलिया, ब्यूरो- अवधेश यादव








