वाराणसी: शहर में फेरी, पटरी और ठेला व्यवसायियों पर हो रही प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ बुधवार को एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में व्यवसायियों के साथ हो रहे “कूरतम जुल्म” को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई है और इसे मानवीय एवं कानूनी दृष्टिकोण से अनुचित बताया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वाराणसी शहर में पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण एवं पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 के अंतर्गत बनाए गए वेंडिंग जोनों एवं निष्प्रयोज्य स्थानों पर शांतिपूर्वक ढंग से व्यवसाय कर रहे गरीब फेरी-पटरी विक्रेताओं को पुलिस एवं नगर निगम द्वारा लगातार हटाया जा रहा है। इससे न केवल उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट का भी उल्लंघन हो रहा है।
प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की इस कार्रवाई के तहत कई व्यवसायियों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 170 के अंतर्गत निरुद्ध किया गया है, जो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सीधा उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि जब तक पथ विक्रेताओं को वैकल्पिक स्थल नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें उनके वर्तमान व्यावसायिक स्थलों से न हटाया जाए।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि फेरी-पटरी व्यवसायी न केवल स्वयं का और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, बल्कि निम्न और मध्यम वर्गीय समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति में भी योगदान देते हैं। साथ ही वे बेरोजगारी दर को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
नगर आयुक्त से कई बार चर्चा के बावजूद अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है, जिसके चलते व्यवसायियों में गहरा असंतोष है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं रोकी गई और कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो वे अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू करने को विवश होंगे।

Author: Ujala Sanchar
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