नई दिल्ली। भारत का भविष्य जिस उम्र में सपनों, ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा होना चाहिए, वही उम्र अब डिप्रेशन और तनाव का सबसे बड़ा शिकार बनती जा रही है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) रिपोर्ट 2024 के अनुसार देश के हर पाँचवें किशोर (10–19 वर्ष) को डिप्रेशन, चिंता या बौद्धिक अक्षमता जैसी मानसिक समस्याएं हैं। यानी 25 करोड़ किशोरों में से लगभग 5 करोड़ बच्चे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं।
कोविड-19 के बाद हालात और बिगड़े
कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेज, बढ़ता स्क्रीन टाइम, सोशल मीडिया का दबाव और अकेलापन — इन सबने किशोरों का मानसिक संतुलन और कमजोर किया। रिपोर्ट के मुताबिक, तनाव और अवसाद के मामलों में 20–30% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक असर
दिल्ली जैसे महानगरों में स्थिति सबसे गंभीर है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार —
- 50.6% किशोर Anxiety (चिंता) से ग्रसित
- 24–39% किशोर Depression (अवसाद) से प्रभावित
- 10% किशोरों में Irritability (चिड़चिड़ापन) पाया गया










