वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) नगर निगम का सबसे बड़ा गृहकर बकायेदार बन गया है। BHU पर 57.30 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें से 30 करोड़ रुपये केवल ब्याज है। लंबे समय से बकाया गृहकर का भुगतान न करने पर नगर निगम ने बीएचयू को नोटिस भेजने की तैयारी की है।
नगर निगम ने निर्णय लिया है कि पहले केवल मूल गृहकर की वसूली की जाएगी और ब्याज की रकम किस्तों में ली जाएगी। नगर निगम के हर जोन के अधिकारियों को बड़े बकायेदारों की सूची दी गई है, जिसमें बीएचयू का नाम सबसे ऊपर है।
नगर निगम का दावा है कि बीएचयू नगर निगम के संसाधनों का इस्तेमाल करता है, जैसे सड़क, बिजली, पानी और सीवर की सुविधाएं। ऐसे में उसे गृहकर जमा करना चाहिए। वहीं, बीएचयू प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय अपने संसाधनों का उपयोग करता है और नगर निगम की सेवाओं का लाभ नहीं लेता। इसी आधार पर गृहकर देने का विरोध किया जा रहा है।
कोर्ट में मामला लंबित
बीएचयू ने मामले को कोर्ट में ले रखा है। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी राकेश कुमार सोनकर ने बताया कि शासन से निर्देश प्राप्त हुआ है कि फिलहाल गृहकर की वसूली की जाए और ब्याज की रकम आसान किस्तों में बाद में ली जाए।
बीएचयू के पीआरओ डॉ. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय नियमानुसार कार्रवाई करेगा। नगर निगम के नोटिस पर विचार किया जाएगा और जो निर्णय उपयुक्त होगा, उसे लागू किया जाएगा।
शहर के अन्य विश्वविद्यालय और कॉलेज नियमित रूप से गृहकर जमा करते हैं। नगर निगम का कहना है कि बीएचयू को भी यही करना चाहिए। नगर निगम ने बीएचयू से पत्राचार शुरू कर दिया है और बकाया वसूली के लिए तैयारी की जा रही है। इसके अलावा, ब्याज की वसूली के लिए भी योजना तैयार की जा रही है।

Author: Ujala Sanchar
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