नई दिल्ली: हिंदी साहित्य के वरिष्ठ और संवेदनशील रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त है। सरल भाषा में गहरी अनुभूति रचने वाले विनोद कुमार शुक्ल अपनी अनोखी शैली और मानवीय संवेदना के लिए जाने जाते थे।
उनकी चर्चित कृति ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुस्तक उनकी लेखनी की पहचान बन गई, जिसमें साधारण जीवन के भीतर छिपी असाधारण भावनाओं को उन्होंने बेहद सहजता से प्रस्तुत किया।
अब शायद वह दीवार भी रहेगी और खिड़की भी, लेकिन उस खिड़की से झांकते और मुस्कुराते हुए विनोद कुमार शुक्ल अब दिखाई नहीं देंगे। उनकी रचनाएं उन्हें पाठकों के बीच हमेशा जीवित रखेंगी।
विनोद कुमार शुक्ल का योगदान हिंदी साहित्य के लिए अमूल्य है। उनकी कमी को साहित्य जगत लंबे समय तक महसूस करेगा।








