प्रयागराज: विशिष्ट वक्ता के रूप में बनारस से पधारे इलाहाबाद केंद्रीय विद्यालय के पूर्व छात्र और ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ पिछले 16 वर्षों से जागरूकता अभियान और हेल्पलाइन चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था सत्या फाउंडेशन के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने ध्वनि प्रदूषण के विविध आयामों और कानूनी रोकथाम के उपाय के बारे में विस्तार से समझाया।
उन्होने विद्यार्थियों को बताया कि ध्वनि को नापने की इकाई का नाम डेसीबल है और किसी भी स्मार्टफोन में एंड्रॉयड मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर पर जाकर साउंड लेवल मीटर को डाउनलोड किया जा सकता है। मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए 40 से 50 डेसीबल की ध्वनि उचित होती है। मगर शादी-विवाह या धार्मिक कार्यक्रमों में उपयोग किया जाने वाला डीजे 100 से 150 डेसीबल के बीच का होता है।
जिसके चलते कई बार कान का पर्दा फट जाता है। कई बार हार्ट-अटैक से ऑन द स्पॉट मौत भी हो जाती है। लिहाजा सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि किसी भी कार्यक्रम में डीजे का प्रयोग नहीं करेंगे। इसकी बजाय पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे ढोल, शहनाई, सारंगी, मजीरा आदि का प्रयोग करेंगे.
कानून के अनुसार रात 10:00 से सुबह 6:00 के बीच किसी भी प्रकार का लाउडस्पीकर, बैंड-बाजा, आतिशबाजी, डीजे स्कूटर-कार का हॉर्न और यहां तक कि मुंह से गाने बजाने या चिल्लाने पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। दिन के दौरान भी ध्वनि की अधिकतम सीमा 65 से 70 डेसीबल ही उचित है (स्पीकर बॉक्स से 1 मीटर की दूरी पर). समय सीमा या डेसीबल सीमा का उल्लंघन करने वाले को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत, ₹1,00,000 तक का जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है.
दिन में ध्वनि को कम और रात में बंद करने के लिए आप 112 पर काल कर सकते हैं। अगर आप अपना नंबर गुप्त रखना चाहें तो इसके लिए आपको 112 पर कहना पड़ेगा कि मेरी पहचान गुप्त रखी जाए। गुप्त शिकायत के लिए आप यूपी पुलिस के 112 के व्हाट्सएप नंबर 7570000100 पर भी संदेश भेज सकते हैं, अगर पहचान गुप्त रखने के लिए निवेदन अवश्य जोड़ दें.
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ मुकदमा करने के लिए, अगर आप वीडियो सबूत बनना चाहें तो कृपया एक लाइव वीडियो किसी भी सोशल मीडिया पर डाल दें. इसके बाद मुकदमें के लिए थाने को तहरीर देते समय इसी लाइव वीडियो का लिंक भी डाल दें. इस सबूत को कोर्ट भी स्वीकार करती है. मुकदमा करने के लिए अगर आप थाने ना जाना चाहे तो गूगल प्ले स्टोर से UPCOP एप को डाउनलोड करके घर बैठे ऑनलाइन मुकदमा भी दर्ज हो सकता है.
घर से 10 मिनट जल्दी निकलें और बेवजह हार्न ना बजायें:-
विद्यार्थियों को बताया गया कि साइलेंस जोन, यानी शिक्षण संस्थान, उपासना स्थल, कोर्ट और अस्पताल-नर्सिंग होम के 100 मीटर के दायरे में बैंड- बाजा, लाउडस्पीकर डीजे, हॉर्न या किसी भी किस्म का शोर करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
इससे पहले विद्यालय के प्रधानाचार्य दुर्गा दत्त पाठक ने अंगवस्त्रम पहनाकर, चेतन उपाध्याय का स्वागत किया. इस मौके पर इफको फूलपुर के वरिष्ठ अधिशासी निदेशक संजय कुदेशिया भी मौजूद थे.
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