Search
Close this search box.

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध तेज, पूर्वांचल में आंदोलन ने पकड़ा जोर

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

वाराणसी। उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का आंदोलन दिन-ब-दिन तेज होता जा रहा है। एक ओर जहां प्रदेश में पूर्वांचल पैकेज की मांग और पूर्वांचल को अलग करने का आंदोलन गति पकड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बिजली कर्मचारियों और निजी कंपनियों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

कर्मचारी संगठन और निजी कंपनियों के बीच खींचतान

सूत्रों के अनुसार, विद्युत कर्मचारी संगठन का कहना है कि वे उपभोक्ताओं के हित में काम करना चाहते हैं, जबकि निजी कंपनियां और निगम प्रबंधन पूंजीपतियों के हित में निजीकरण को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि “अगर प्रदेश सरकार ने हमारे प्रस्तावों की निष्पक्ष समीक्षा नहीं की, तो निजी कंपनियां अपने मकसद में सफल हो जाएंगी और उपभोक्ताओं को नोएडा-आगरा जैसे क्षेत्रों की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।”

पूर्वांचल में आंदोलन ने लिया व्यापक रूप

पूर्वांचल के कई जिलों में निजीकरण विरोधी आंदोलन बड़े पैमाने पर फैल चुका है। बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन को राज्यव्यापी हड़ताल का रूप दिया जाएगा। वहीं उपभोक्ताओं को भी डर है कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में बढ़ोतरी और सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा सकती है।

विकास और आत्मनिर्भरता पर उठे सवाल

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पूर्वांचल को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है, तो सरकार को बिजली व्यवस्था को मजबूत करने और स्थानीय कर्मचारियों को निर्णय लेने की स्वायत्तता देनी होगी।

वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए एक ऊर्जा विशेषज्ञ ने कहा “उत्तर प्रदेश सरकार 2047 तक आत्मनिर्भर राज्य बनाने का लक्ष्य रखती है, लेकिन पूर्वांचल की वर्तमान स्थिति इस दिशा में बड़ी चुनौती है। बिजली दरें अधिक हैं, औद्योगिक विकास सीमित है, और निजीकरण से स्थिति और खराब हो सकती है।”

पूर्वांचल पैकेज की मांग फिर हुई प्रबल

कर्मचारी संगठनों और स्थानीय व्यापारिक वर्गों ने सरकार से पूर्वांचल विशेष पैकेज की मांग दोहराई है। उनका कहना है कि जब तक पूर्वांचल को विशेष आर्थिक सहायता और ऊर्जा क्षेत्र में नीति-निर्माण की स्वतंत्रता नहीं दी जाती, तब तक आत्मनिर्भर भारत मिशन का विजन अधूरा रहेगा।

प्रदेश सरकार पर दबाव बढ़ा

सरकार के सामने अब दोहरी चुनौती है -एक ओर निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, और दूसरी ओर कर्मचारियों के व्यापक विरोध को संभालना। सरकार ने फिलहाल स्थिति की समीक्षा के लिए ऊर्जा विभाग को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

Leave a Comment

और पढ़ें