मिर्जापुर। खनिज विभाग में बड़े स्तर पर लापरवाही और अनियमितता सामने आई है। मुतत्व एवं खनिकर्म विभाग की सचिव एवं निदेशक माला श्रीवास्तव ने शुक्रवार को चुनार और मढियान क्षेत्र में औचक निरीक्षण किया, जिसमें यह खुलासा हुआ कि कई खनन पट्टा धारकों ने नियमों का उल्लंघन कर विभाग को करीब 50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
गिट्टी-बोल्डर के नाम पर इमारती पत्थर का खनन
जांच में पाया गया कि जिन पट्टा धारकों को गिट्टी और बोल्डर के खनन की अनुमति दी गई थी, उन्होंने इमारती पत्थर (ब्लॉक खनन) शुरू कर दिया। यह नियमों के विपरीत था और इससे विभाग को भारी राजस्व हानि हुई। सचिव माला श्रीवास्तव ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि “आईडी के अनुसार ही उपखनिजों का खनन और परिवहन किया जाए, अन्यथा दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए राजस्व क्षति की वसूली की जाएगी।”
सोनभद्र व अहरौरा क्षेत्र में भी निरीक्षण
सचिव की टीम ने सोनभद्र जनपद, इमिलिया चट्टी और अहरौरा क्षेत्र का भी सघन निरीक्षण किया। जांच में यह पाया गया कि ग्राम समाज की पहाड़ियों पर संचालित 20 से अधिक खननकर्ताओं ने अनुमत उपखनिजों के बजाय इमारती पत्थर का खनन किया है।
इन खननकर्ताओं को विभाग की ओर से पहले गिट्टी व बोल्डर के लिए लीज दी गई थी, लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर पत्थर की पटिया (ब्लॉक) निकालकर बेच दी, जिससे राज्य सरकार को लगभग ₹50 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ।
अधिकारियों की मिलीभगत पर भी उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। सचिव ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए सभी पट्टा धारकों को नोटिस जारी करने और राजस्व जमा कराने का निर्देश दिया है। साथ ही, उत्तर प्रदेश उप-खनिज परिहार नियमावली 2021 के तहत कई पट्टों का पंजीकरण निरस्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
कड़े निर्देश और सतत निगरानी का आदेश
सचिव माला श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि “अवैध खनन और राजस्व चोरी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वाहनों का पंजीकरण न कराने वालों को पास जारी नहीं किया जाएगा। सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अवैध खनन की सतत निगरानी रखी जाए और दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए।”
रिपोर्ट- इफ्तेखार हाशमी