वाराणसी। बिजली के निजीकरण, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और प्रीपेड मीटर लगाए जाने के विरोध में चल रहा बिजलीकर्मियों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले सोमवार को आंदोलन के 357वें दिन भी बनारस के बिजली कर्मियों ने विभिन्न कार्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
वक्ताओं ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स तथा संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेताओं के बीच हुई सहमति के बाद किसानों ने 26 नवंबर को देशभर में बिजली निजीकरण, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और प्रीपेड मीटर लगाए जाने के विरोध में व्यापक प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस विरोध प्रदर्शन में बिजली कर्मचारी भी शामिल होंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संगठन समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मियों के राष्ट्रीय फेडरेशन और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के संयुक्त निर्णय के तहत निजीकरण के खिलाफ एक बड़े राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं ने बताया कि 9 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच सहमति बनी थी कि किसानों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों को विश्वास में लिए बिना इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल पेश नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद केंद्र सरकार फिर से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 ले आई है। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर आगे बढ़ रही है, जिससे 42 जनपदों की गरीब जनता प्रभावित होगी।

नेताओं ने कहा कि बिजली कर्मचारी किसानों और उपभोक्ताओं के साथ मिलकर निजीकरण का विरोध जारी रखेंगे और इसे रद्द कराने के लिए कृतसंकल्प हैं।
मुख्य मांगें:
- पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण निर्णय निरस्त किया जाए।
- इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 वापस लिया जाए।
- किसानों और उपभोक्ताओं के घरों पर जबरदस्ती प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया रोकी जाए।
वहीं सभा को ई. एस.के. सिंह, अंकुर पांडेय, रहष सिंह, मनोज जायसवाल, धर्मेंद्र यादव, धनपाल सिंह, पंकज यादव, बृजेश यादव, अरुण कुमार, रमेश कुमार, अनुराग यादव, नन्हे लाल, सन्नी कुमार, रोहित कुमार और अरुण पाल सहित कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया।






