गाजीपुर। जिले में आयुर्वेद विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। खासकर बहादुरगंज स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. जयंत कुमार पर गंभीर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि वे चिकित्सालय में नियमित उपस्थिति नहीं देते और मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉ. जयंत कुमार मऊ जिले के भीटी चौराहे के पास “शेखर क्लिनिक” नामक निजी क्लिनिक भी संचालित कर रहे हैं, जहां वे नियमित रूप से देखे जाते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि जब सरकारी चिकित्सालयों में उनकी सेवाएं अपेक्षित हैं, तब निजी प्रैक्टिस में व्यस्त क्यों रहते हैं।
चिकित्सालय की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो दवा वितरण जैसी जिम्मेदारी फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों को सौंप दी गई है, जबकि नियमों के अनुसार यह काम केवल फार्मासिस्ट द्वारा ही किया जाना चाहिए। ग्रामवासियों का आरोप है कि सरकारी सुविधाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है और सही चिकित्सा परामर्श नहीं मिल पा रहा, जिसके कारण कई मरीज निजी क्लिनिक की ओर मजबूर होकर जा रहे हैं।
इस मामले पर जब डॉ. जयंत कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वे अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। उनका कहना था कि निजी क्लिनिक संचालन या लापरवाही जैसे आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।
अब यह देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इन आरोपों पर क्या कार्रवाई करता है। क्या मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई होगी, या यह भी अन्य मामलों की तरह महज फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो न केवल आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवाओं की साख पर प्रश्नचिह्न लगेगा, बल्कि आम जनता का भरोसा भी कमजोर हो सकता है।
ब्यूरोचीफ: संजय यादव

Author: Ujala Sanchar
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