मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक रहस्यमयी चमकदार पत्थर ने गांव में सनसनी फैला दी है। दावा किया जा रहा है कि यह कोई आम पत्थर नहीं, बल्कि ‘नागमणि’ है। मामला जिले के साहिबगंज थाना क्षेत्र स्थित बिसनपुर कल्याण प्राथमिक विद्यालय का है, जहां एक छात्रा को स्कूल परिसर में एक चमकता हुआ पत्थर मिला। इसके बाद घटनाक्रम जिस दिशा में बढ़ा, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं।
पहले सांप, फिर मिला चमकीला पत्थर
कुछ दिन पहले स्कूल परिसर में एक सांप देखे जाने की खबर ने पहले ही लोगों में बेचैनी फैला दी थी। इसी बीच 23 जुलाई को स्कूल के एक कोने में एक छात्रा को जमीन पर चमकता हुआ पत्थर मिला, जिसे उसने ‘नागमणि’ समझकर शिक्षिका संजू कुमारी को सौंप दिया।
शिक्षिका ने पत्थर घर ले जाकर रखा, गांव में भड़की भीड़
मामला तब विवादों में आ गया जब शिक्षिका संजू कुमारी ने पत्थर को स्कूल में जमा करने की बजाय घर ले जाकर रख लिया। जैसे ही इस बात की भनक छात्रा और ग्रामीणों को लगी, स्कूल परिसर में भारी भीड़ जुट गई। लोगों ने ‘नागमणि’ देखने की ज़िद की और शिक्षिका पर आरोप लगाया कि उन्होंने पत्थर को छुपाने की कोशिश की।
पुलिस और वैज्ञानिक जांच शुरू
माहौल बिगड़ता देख स्कूल प्रशासन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को शांत कराया और कथित ‘नागमणि’ को जब्त कर लिया। अब इस चमकदार पत्थर को वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेजा गया है ताकि उसकी असलियत सामने आ सके।
शिक्षिका की सफाई
शिक्षिका संजू कुमारी ने बताया, “बच्ची ने जो स्टोन मुझे दिया था, वो मैंने बाद में उनके परिवार को लौटा दिया। नागमणि है या नहीं, इसका मुझे कोई ज्ञान नहीं है।”
गांव में अंधविश्वास बनाम वैज्ञानिक सोच की बहस
इस पूरे घटनाक्रम ने गांव में आस्था और अंधविश्वास के बीच बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं तो कुछ इसे महज चमकदार पत्थर बता रहे हैं।
सवाल अब भी बाकी हैं
- क्या वह पत्थर वाकई नागमणि है या बस अफवाह?
- शिक्षिका ने पत्थर को घर क्यों ले जाया?
- क्या गांव में फैला अंधविश्वास बच्चों की शिक्षा को प्रभावित कर रहा है?
फिलहाल सभी की निगाहें वैज्ञानिक जांच की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस रहस्य से पर्दा उठा सकती है। लेकिन यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि कैसे अफवाहें और अंधविश्वास स्कूल जैसे संस्थानों में भी भ्रम और अफरातफरी पैदा कर सकते हैं।










