मध्य प्रदेश की लीला साहू, जो इस समय गर्भवती हैं, उन्होंने अपनी जिद और संघर्ष से यह साबित कर दिया है कि यदि इरादा मजबूत हो और हक की लड़ाई ईमानदारी से लड़ी जाए, तो सरकारें भी झुक जाती हैं।
लीला साहू ने दो वर्षों तक सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर अपने गांव की सड़क बनवाने के लिए आवाज उठाई। हाल ही में जब उन्होंने एक वीडियो में बताया कि सड़क की बदहाली के कारण उन्हें गर्भवती हालत में पैदल चलना पड़ता है, तो इस पर मंत्री ने विवादित बयान देते हुए कहा, “हमें एक हफ्ते पहले बताते, हम उठवा लेते।”

इस बयान से मामला और गरमा गया, और जनता का गुस्सा सोशल मीडिया पर उफान पर आ गया। भारी दबाव के बाद सरकार हरकत में आई और अब उस सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।
यह घटना न सिर्फ सिस्टम की नींद तोड़ने वाली है, बल्कि एक बड़ा उदाहरण भी है उन लोगों के लिए जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल गाली-गलौज, अश्लीलता और नकारात्मकता फैलाने में करते हैं।
लीला साहू जैसी महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने अपने अधिकार की लड़ाई सभ्य तरीके से लड़ी और जीत हासिल की। यह संदेश है कि अगर सोशल मीडिया को सही दिशा दी जाए, तो वह समाज में असली बदलाव ला सकता है।

Author: Ujala Sanchar
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