गाजीपुर: बिरनो क्षेत्र के भड़सर गांव में हर वर्ष नाग पंचमी के पावन पर्व पर आयोजित होने वाली पारंपरिक कुश्ती प्रतियोगिता (दंगल) अब विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है। बदलते समय और तकनीकी युग की ओर बढ़ते युवाओं की रुचि पारंपरिक खेलों से हटकर अब वीडियो गेम्स और सोशल मीडिया तक सीमित होती जा रही है, जिससे ग्रामीण खेल संस्कृति धीरे-धीरे खत्म होती नजर आ रही है।

कुश्ती की परंपरा- अब अतीत की बात?
भड़सर गांव में मां खारगा के स्थान पर वर्षों से नाग पंचमी पर कुश्ती दंगल का आयोजन होता था, जो पूरे क्षेत्र के लिए उत्सव जैसा होता था। लेकिन अब यह परंपरा कमजोर पड़ रही है।
पूर्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया “पहले नाग पंचमी आते ही गांव-गांव अस्थायी अखाड़े तैयार हो जाते थे। कुश्ती, कबड्डी, गदा, डंबल, नाल फेरने जैसे पारंपरिक खेलों में युवा और बुजुर्ग सभी भाग लेते थे।”
स्थानीय निवासी धर्मेंद्र सिंह उर्फ कल्लू ने कहा “नाग पंचमी के दंगल में मोहल्ले की टीम को जिताने की होड़ रहती थी। अब युवा दिनभर मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं, जिससे न सिर्फ खेल से दूरी बन रही है, बल्कि शरीर भी कमजोर हो रहे हैं।”
आयोजन की झलक
हालांकि इस बार सीमित स्वरूप में ही सही, कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें रामलक्ष्मण यादव और मोहन पाल ने रेफरी की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में चंद्र प्रकाश सिंह, धर्मेंद्र सिंह उर्फ कल्लू, मीरा यादव, बबलू यादव, राम रतन राजभर, तनमन राजभर, अखिलेश पाल, बबलू खरवार, केसर पटेल, राहुल राजभर, हीरा पाल सहित कई स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे।









