Search
Close this search box.

वाराणसी: विकसित कृषि संकल्प अभियान- दो दिनों में 4400 से अधिक किसानों तक पहुंचे आइआइवीआर वैज्ञानिक

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आधारित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ के दूसरे दिन भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में अपनी व्यापक कृषक जागरूकता मुहिम जारी रखी। दो दिनों में कुल 82 गांवों के 4,400 से अधिक किसानों तक पहुंच बनाने वाले इस अभियान में वाराणसी जिले में विशेष गतिविधियां आयोजित की गईं।

वाराणसी में व्यापक कार्यक्रम पर जोर-

वाराणसी जिले में हरहुआ और सेवापुरी ब्लॉक के भोपापुर, गहुरा, भीष्मपुर और अमिनी सहित 7 गांवों में 485 किसानों ने दो दिनों के कार्यक्रम में भाग लिया। इस अभियान में आइआइवीआर के वैज्ञानिकों डॉ. अच्युत सिंह के साथ पी करमाकर, आशुतोष राय, विद्या सागर, ज्योति देवी, के के पाण्डेय एवं रामेश्वर सिंह सहित कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों एवं तकनीकी अधिकारियों की टीम ने गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता, जल संकट में सब्जियोँ की बेहतर उपज, अच्छी किस्में और उत्पाद विपणन की चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की। वैज्ञानिकों ने आइआइवीआर की नवीन किस्मों, प्राकृतिक खेती, प्रत्यक्ष बीज धान की खेती और उद्यमिता विकास पर किसानों को जानकारी प्रदान की।

अन्य जिलों में उत्साहजनक सहभागिता-

कुशीनगर में सर्वाधिक 1,127 किसानों ने दो दिनों में भाग लिया, जहां ऊतक संवर्धन केला पौधों की उपलब्धता, ड्रोन तकनीक और अभिनव फसलों की खेती पर चर्चा हुई। सोनभद्र में 895 किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कृषि उपयोग और मशरूम उत्पादन की जानकारी दी गई।

चंदौली के 697 किसानों के साथ एफपीओ विकास, वर्मी कंपोस्ट तैयारी और मूल्य संवर्धन पर व्यापक चर्चा हुई। मिर्जापुर में 538 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड और एकीकृत कीट प्रबंधन की जानकारी मिली, जबकि भदोही के 731 किसानों को मृदा लवणता, जल संरक्षण और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।

आइआइवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि यह अभियान विशेषकर संसाधन-विहीन सीमांत किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। छोटी भूमि जोत वाले किसान सब्जी उत्पादन से प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। हमारी संस्थान द्वारा विकसित उच्च उत्पादन किस्में, कम लागत की तकनीकें और मूल्य संवर्धन के तरीके सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आइआइवीआर द्वारा विकसित काशी श्रृंखला की सब्जी किस्में छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं। संस्थान निःशुल्क तकनीकी सलाह, गुणवत्तापूर्ण बीज और प्रशिक्षण के माध्यम से सीमांत किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती और एकीकृत कीट प्रबंधन से लागत में कमी और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।

दोनों दिनों के कार्यक्रम में किसानों के फीडबैक के रूप से पशुओं और विशेषकर नीलगाय की समस्या सबसे प्रमुख चुनौती के रूप में उभरी। जल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता और विपणन की समस्याओं पर व्यापक चर्चा हुई। वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती, एकीकृत कीट प्रबंधन, सरकारी योजनाओं की जानकारी और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान किया।

इन कार्यक्रमों की समीक्षा के उपरांत संस्थान द्वारा नियमित फॉलो-अप कार्यक्रमों, टेक्नोलॉजी प्रदर्शन प्लॉट में प्रदर्शन और ऑन-फार्म प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किये जायेंगे. यह अभियान छोटे और सीमांत किसानों को सब्जी उत्पादन के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।

Ujala Sanchar
Author: Ujala Sanchar

उजाला संचार एक प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल और अख़बार है जो स्थानीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और अन्य समाचारों को कवर करती है। हम सटीक, विश्वसनीय और अद्यतन जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।

Leave a Comment

और पढ़ें