वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति एवं कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक के वर्तमान कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी बदामी देवी का सड़क दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया। इस दुःखद समाचार से शैक्षणिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “प्रो. हरेराम त्रिपाठी जी एक महान विद्वान थे। संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है। उनकी आत्मा की शांति के लिए मैं बाबा विश्वनाथ जी से प्रार्थना करता हूं। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।”
प्रो. त्रिपाठी का जीवन व योगदान
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के चकिया ग्राम में जन्मे प्रो. त्रिपाठी ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री, आचार्य और पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त कीं। 12 जून 2021 से 4 जून 2023 तक वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति रहे। इसके अलावा वे श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में सर्वदर्शन विभाग में वरिष्ठ आचार्य रहे।
उन्होंने अपने जीवनकाल में 30 से अधिक ग्रंथों का संपादन और लेखन किया तथा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR) और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रबंधन मंडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिक्षा जगत के लिए अपूरणीय क्षति
प्रो. त्रिपाठी जी की विद्वत्ता और समर्पण संस्कृत शिक्षा जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके निधन से हुई रिक्तता को पूरा करना संभव नहीं होगा। विश्वविद्यालय परिवार ने ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और परिवार को इस कठिन समय में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की है।

Author: Ujala Sanchar
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