वाराणसी: शहर में महाराजा सुहेलदेव राजभर स्मृति द्वार पर जाति के नाम से छेड़छाड़ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। शरारती तत्वों द्वारा स्मृति द्वार पर लिखे “राजभर” शब्द को हटाए जाने से राजभर समाज में आक्रोश फैल गया। शनिवार को सैकड़ों की संख्या में राजभर समाज के लोग स्मृति द्वार पर एकत्र होकर जोरदार प्रदर्शन करने लगे।
क्या है मामला
10 मई को राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल द्वारा उद्घाटित महाराजा सुहेलदेव स्मृति द्वार पर उनके नाम के साथ “राजभर” जाति लिखी गई थी। लेकिन हाल ही में अज्ञात शरारती तत्वों ने स्मृति द्वार से “राजभर” शब्द को हटा दिया, जिससे समाज में गंभीर नाराजगी है।
राजभर समाज की मांगें
प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि “राजभर” शब्द हटाने वाले शरारती तत्वों की तत्काल पहचान कर गिरफ्तारी की जाए। स्मृति द्वार पर मूल रूप से लिखा गया नाम पुनः बहाल किया जाए। समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
जातीय टकराव की आशंका
सूत्रों के अनुसार, क्षत्रिय समाज महाराजा सुहेलदेव को क्षत्रिय मानता है और उनके नाम के आगे “राजभर” लगाए जाने पर विरोध जताता रहा है। इससे पहले भी इस मुद्दे को लेकर टकराव की स्थिति बन चुकी है। अब पुनः “राजभर” शब्द को हटाए जाने से राजभर समाज आक्रोशित है और इसे एक साज़िश मान रहा है।
पुलिस की मौजूदगी
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सारनाथ थाना क्षेत्र की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और प्रदर्शन कर रहे लोगों को शांत करने की कोशिश की। पुलिस ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में
घटना के बाद से इलाके में पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। प्रशासन पूरे मामले की जांच में जुट गया है और किसी भी संभावित जातीय तनाव से निपटने के लिए सतर्क है।

Author: Ujala Sanchar
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