गाजीपुर: जहाँ एक ओर देश अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, वहीं गाजीपुर जनपद की शक्करपुर ग्रामसभा के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव के लोग आजादी के 75 वर्ष बाद भी अपने ही गांव के एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए लगभग 5 किलोमीटर का चक्कर लगाने को मजबूर हैं, क्योंकि रेलवे ने अभी तक इस क्षेत्र में अंडरपास या ओवरब्रिज जैसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है।

गाजीपुर सिटी से शाहबाजकुली रेलवे स्टेशन के बीच पड़ने वाली शक्करपुर ग्रामसभा में लगभग 4,000 की आबादी है, जिसमें 1,000 पुरुष और 868 महिला मतदाता शामिल हैं। गांव में प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल भी हैं, जिनमें नगवां, नवापुरा, पक्का इनार, और सदिकापुर से बच्चे पढ़ने आते हैं। इन छात्रों को रोजाना दोहरी रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है, जिससे जान का खतरा बना रहता है।

गांव से केवल 500 मीटर की दूरी पर NH-31 (गाजीपुर–भरौली मार्ग) होने के कारण अधिकांश ग्रामीण इसी मार्ग से शहर या अन्य स्थानों के लिए निकलते हैं। इसके लिए उन्हें दोहरी रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है। चूंकि इस स्थान पर न तो कोई पुलिया है, न अंडरपास, इसलिए लोग या तो रेल पटरियों के किनारे से निकलते हैं या असुरक्षित तरीके से लाइन पार करते हैं। इससे आए दिन दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
गांव के बाहर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मातृ-शिशु केंद्र तक पहुंचने के लिए भी ग्रामीणों को इसी असुरक्षित मार्ग से होकर जाना पड़ता है। बुजुर्ग, महिलाएं और बीमार लोग जान जोखिम में डालकर रेल लाइन पार करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों की मांग – अंडरपास का निर्माण जरूरी
ग्रामीणों ने रेलवे प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जल्द से जल्द अंडरपास या सुरक्षित पुल के निर्माण की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अंडरपास बना दिया जाए तो बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और आम नागरिकों को आवागमन में राहत मिलेगी और किसी भी संभावित दुर्घटना से बचा जा सकेगा।
रेलवे की उदासीनता पर उठे सवाल
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि आजादी के बाद से लेकर अब तक रेलवे और संबंधित विभागों ने ग्रामसभा की समस्याओं की अनदेखी की है। “गौरवशाली रेलवे” की बात करने वाली सरकार को ग्रामीणों की इस बुनियादी ज़रूरत को तुरंत गंभीरता से लेना चाहिए।









