वाराणसी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आंदोलन कर रहे बिजली कर्मियों ने आज 356वें दिन भी बनारस में जोरदार प्रदर्शन किया। बिजली कर्मियों ने साफ कहा कि पूर्वांचल विद्युत निगम का निजीकरण किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कैश काउंटर पर फिनटेक कंपनी के कर्मचारियों की तैनाती पर नाराजगी
संघर्ष समिति का कहना है कि विभागीय कैश काउंटर पर फिनटेक कंपनी के कर्मचारियों को लगाने का प्रयास समिति और प्रबंध निदेशक के बीच हुई सहमति के खिलाफ है। यदि समझौते का पालन नहीं किया गया, तो समिति कैश काउंटर की सुरक्षा और 150 संविदाकर्मियों की संभावित छंटनी के मुद्दे पर आंदोलन तेज करेगी।

निजीकरण टेंडर लाने की जल्दबाजी पर सवाल
वक्ताओं ने बताया कि लखनऊ में अध्यक्षता में हुई प्रबंध निदेशकों की बैठक में यह संकेत दिया गया कि बिहार चुनाव समाप्त होने के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु टेंडर जारी किया जा सकता है। संघर्ष समिति ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन घाटे के गलत आंकड़े पेश कर निजीकरण का रास्ता साफ करने की कोशिश कर रहा है।
मुख्य सचिव से आरएफपी डॉक्यूमेंट मंजूर न करने की अपील
संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव एस. पी. गोयल को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि निजीकरण के लिए तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट को मंजूरी न दी जाए। समिति का तर्क है कि वास्तविक आंकड़ों के अनुसार दोनों निगम मुनाफे में हैं, घाटे में नहीं।
दोनों निगमों की आर्थिक स्थिति – संघर्ष समिति के अनुसार
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (2024–25)
- कुल राजस्व वसूली: 13297 करोड़ रु
- टैरिफ सब्सिडी: 5321 करोड़ रु
- निजी नलकूप सब्सिडी: 376 करोड़ रु
- बुनकर सब्सिडी: 630 करोड़ रु
- कुल राजस्व: 19624 करोड़ रु
- सरकारी विभागों पर बकाया: 4182 करोड़ रु
बकाया जोड़कर कुल राजस्व: 23806 करोड़ रु - कुल खर्च: 20564 करोड़ रु
मुनाफा: 3242 करोड़ रु
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (2024–25)
- कुल राजस्व वसूली: 11546 करोड़ रु
- टैरिफ सब्सिडी: 4692 करोड़ रु
- निजी नलकूप सब्सिडी: 991 करोड़ रु
- बुनकर सब्सिडी: 23 करोड़ रु
कुल राजस्व: 17252 करोड़ रु - सरकारी विभागों का बकाया: 4543 करोड़ रु
कुल राजस्व आय: 21795 करोड़ रु - कुल खर्च: 19639 करोड़ रु
- मुनाफा: 2156 करोड़ रु
समिति का दावा है कि इन स्पष्ट लाभ के बावजूद निजीकरण की प्रक्रिया जनता और कर्मचारियों के हितों के विपरीत है।
टेंडर प्रकाशित होते ही सामूहिक जेल भरो आंदोलन
बिजली कर्मियों ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का टेंडर जारी हुआ, तो समस्त ऊर्जा निगमों के नियमित, संविदा व तकनीकी कर्मचारी सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे, जिसका पूरा दायित्व पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन का होगा।
सभा को संबोधित करने वालों में शामिल
वहीं इस प्रदर्शन में अंकुर पांडेय, पंकज कुमार, रितेश कुमार, सूरज रावत, बृजेश कुमार, मनोज यादव, सरोज भूषण, अलका कुमारी, पूजा कुमारी, धनपाल सिंह, राजेंद्र सिंह, जितेंद्र कुमार, नागेंद्र कुमार सहित कई वक्ताओं ने निजीकरण का विरोध करते हुए आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया।










