वाराणसी। गंगा नदी में नावों और जल परिवहन के लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए प्रशासन ने एक व्यापक और आधुनिक वॉटर ट्रैफिक कंट्रोल प्लान तैयार किया है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक गंगा घाटों पर पहुंचते हैं, विशेष रूप से दशाश्वमेध घाट पर होने वाली भव्य गंगा आरती के दौरान, जिससे नदी में नावों की संख्या काफी बढ़ जाती है और टकराव व दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
प्रशासन की योजना के तहत गंगा नदी में लगभग तीन किलोमीटर लंबा “वाटर डिवाइडर” बिछाया जाएगा। यह डिवाइडर नदी को दो लेनों में विभाजित करेगा, जिससे नावों की आवाजाही सुव्यवस्थित तरीके से हो सकेगी। वाटर डिवाइडर को फ्लोटिंग जेटी और मजबूत जाल से तैयार किया जाएगा, जिसमें पानी भरा रहेगा, ताकि किसी भी टक्कर की स्थिति में सुरक्षा बनी रहे।
रात के समय बेहतर दृश्यता के लिए डिवाइडर के किनारे चमकदार संकेतक (रिफ्लेक्टिव मार्कर) लगाए जाएंगे, जिससे नाव चालकों को लेन की सीमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके। प्रशासन का कहना है कि यह डिवाइडर गंगा नदी के प्राकृतिक जल प्रवाह को प्रभावित नहीं करेगा और आपात स्थिति में नावों के लिए सुरक्षित रहेगा।
सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए जल पुलिस बल की संख्या बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में 32 सदस्यों वाले जल पुलिस बल का विस्तार किया जाएगा, साथ ही स्पीड बोट्स और पोंटून नावों की भी तैनाती की जाएगी। घाटों के आसपास निगरानी और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए अतिरिक्त संसाधन भी लगाए जाएंगे।
प्रशासन का मानना है कि इस योजना के लागू होने से गंगा नदी में होने वाली दुर्घटनाओं की आशंका काफी हद तक कम होगी और यात्रियों व श्रद्धालुओं के लिए जल यात्रा अधिक सुरक्षित, नियंत्रित और सुविधाजनक बन सकेगी।








