चंदौली: डीडीयू नगर स्थित द गुरुकुलम स्कूल में आज महर्षि वाल्मीकि जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से आदिकवि वाल्मीकि के जीवन आदर्शों और शिक्षाओं से प्रेरणा ली।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की प्रधानाचार्या प्रियंका मुखर्जी एवं समन्वयक सविता दास द्वारा महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। इस अवसर पर समन्वयक सविता दास ने बताया कि भगवान श्रीराम की सबसे प्रमाणिक जीवनगाथा ‘रामायण’ की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि की जयंती प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
प्रधानाचार्या प्रियंका मुखर्जी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें आत्मज्ञान, सत्य और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार वाल्मीकि का बाल्य नाम रत्नाकर था, जिन्होंने तपस्या और आत्मज्ञान के माध्यम से एक महान ऋषि और कवि के रूप में ख्याति प्राप्त की।
उन्होंने कहा कि रामायण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कृति है, जो समाज में समरसता, सद्भाव और उन्नति का संदेश देती है।
कार्यक्रम का संयोजन आशुतोष सिंह द्वारा किया गया तथा संचालन सविता दास ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

Author: Ujala Sanchar
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