चंदौली: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य विभाग के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिखी ने बुधवार को चंदौली में विकसित किए जा रहे अत्याधुनिक थोक मछली बाजार का दौरा कर निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। यह बाजार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत स्थापित किया जा रहा है। दौरे के उपरांत सचिव महोदय ने स्थानीय मछुआरों और मत्स्य पालकों से संवाद कर जमीनी स्तर पर आ रही चुनौतियों और आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त की।

स्थानीय मछुआरों के लिए सहायक होगा आधुनिक मछली बाजार
भारत के सबसे बड़े अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन वाले राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश प्रतिवर्ष लगभग 11.60 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन के साथ देश के कुल उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मत्स्य मूल्य श्रृंखला में मौजूदा अंतराल को दूर करने और मछुआरों को बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आधुनिक मछली बाजार, कियोस्क और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं के विकास को समर्थन प्रदान किया जा रहा है। इसी उद्देश्य के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में चंदौली में एक अत्याधुनिक थोक मछली बाजार की परियोजना को ₹61.88 करोड़ की बजटीय स्वीकृति के साथ मंजूरी प्रदान की गई थी।
इस परियोजना का उद्देश्य पोस्ट-हार्वेस्ट अवसंरचना को मजबूत करना और मछुआरों के लिए बाजारों तक पहुंच को बेहतर बनाना है। इस विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त बाजार में थोक एवं खुदरा क्षेत्र, केंद्रीकृत एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन प्रणाली, कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण इकाइयां, अपशिष्ट जल उपचार, वर्षा जल संचयन, एलईडी प्रकाश व्यवस्था जैसी सतत् अवसंरचनाएं शामिल होंगी।
डिजिटल नीलामी मंच, रीयल-टाइम इन्वेंट्री प्रबंधन, ऑनलाइन ट्रेसबिलिटी और एआई आधारित संचालन, लॉजिस्टिक्स एवं ग्राहक सेवा से जुड़ी स्मार्ट सुविधाएं भी इस बाजार का हिस्सा होंगी। इसके अतिरिक्त, इसमें अपशिष्ट पुन: उपयोग प्रणाली, स्वचालित सफाई, ऊर्जा निगरानी, प्रमाणन एजेंसियों, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, कल्याण सेवाओं और क्षमता निर्माण की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे यह एक समावेशी, सतत और भविष्य-उन्मुख मत्स्य विपणन केंद्र के रूप में विकसित होगा।
अत्याधुनिक मछली बाजार से होंगे कई लाभ
इस प्रकार के अत्याधुनिक बाजार मत्स्य क्षेत्र में दक्षता, स्वच्छता और लाभप्रदता को कई गुना बढ़ाते हैं। ये मछुआरों एवं व्यापारियों के लिए थोक व्यापार हेतु सुव्यवस्थित मंच प्रदान करते हैं जिससे बेहतर मूल्य निर्धारण एवं पारदर्शी लेन-देन सुनिश्चित होते हैं। ठंडे भंडारण, स्वच्छ नीलामी कक्ष, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, और डिजिटल भुगतान जैसी आधुनिक सुविधाएं उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती हैं और खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करती हैं।
साथ ही, ये बाजार आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित कर उत्पादकों और खरीदारों के बीच सीधे संबंध स्थापित करते हैं, जिससे मछुआरों की आय में वृद्धि, निजी निवेश को बढ़ावा और पूरे मत्स्य अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति मिलती है।
मत्स्य क्षेत्र के टिकाऊ विकास हेतु केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता
मत्स्य विभाग सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य अवसंरचना के आधुनिकीकरण, बाजार पहुंच सुधारने और उत्पादन, प्रसंस्करण तथा वितरण में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत ‘नीली क्रांति’, मत्स्य पालन एवं जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PMMKSSY) जैसी पहलें चलाई जा रही हैं।
सरकार PMMSY और FIDF के तहत आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर व्यापार दक्षता बढ़ाने, स्वच्छता मानकों को सुधारने और मछुआरों को उचित मूल्य दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है। पारंपरिक मछली बाजारों में खराब अवसंरचना, कोल्ड स्टोरेज की कमी और अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए PMMSY के अंतर्गत 202 मछली खुदरा बाजार और 21 आधुनिक थोक बाजारों को कुल ₹676.15 करोड़ की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई है।
यह पहल मत्स्य मूल्य श्रृंखला में समेकित पोस्ट-हार्वेस्ट सुविधाओं और बाजार संपर्क को एकीकृत कर ‘कैच से कंज्यूमर’ तक की निर्बाध कड़ी सुनिश्चित करेगी और मूल्य संधारण को बढ़ावा देगी।









