कोलकाता। महालय की पावन तिथि पर रविवार को कोलकाता के मध्यस्थल में एक भव्य साहित्यिक सम्मेलन, कविता पाठ और सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इस विशेष अवसर का सूत्रधार था उभरता हुआ प्रकाशन समूह “ऐक्यतान”।
कार्यक्रम में कुल 28 पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिनमें 19 सामूहिक संकलन एवं 9 एकल काव्य संग्रह शामिल रहे। करीब 200 से अधिक साहित्य प्रेमियों की मौजूदगी ने आयोजन को और भी जीवंत बना दिया।
इस अवसर पर युवा कवि एवं शोधकर्ता सुदीप चंद्र हालदार को “शारदीय सम्मान” स्मृति-चिह्न एवं उत्तरीय भेंट कर सम्मानित किया गया।
कवि सुदीप चंद्र हालदार के विचार
उन्होंने कहा “चारों ओर पर्व का उल्लास है, प्रकृति स्वयं मातृ स्वागत को तत्पर है। ऐसे दिन में साहित्यिक संगोष्ठी एक अनुपम संगम है। बांग्ला साहित्य, विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है। इसे आगे ले जाने के लिए युवाओं को और अधिक गंभीर होना होगा। हमें सतर्क रहना होगा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति साहित्य को क्षति न पहुंचाए।”
अन्य वक्ताओं के विचार
- मुख्य अतिथि प्रो. तबारक अली ने कहा— “तकनीकी युग में भी युवाओं की साहित्य साधना सराहनीय है।”
- कवयित्री सुलताना परवीन ने कहा— “नई पीढ़ी की साहित्य साधना और निष्ठा देखकर मैं अभिभूत हूं।”
आयोजन का समापन
सम्मेलन के अंतिम चरण में ऐक्यतान प्रकाशन के प्रमुख संगबाद साहू ने सभी साहित्यकारों एवं उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया और साहित्य साधना को आगे भी निरंतर बनाए रखने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में रियाली बोस, नीलिमा मंडल, सौमी सरकार, मौमिता गुड़िया और देबाशीष राय समेत अनेक गणमान्य साहित्यकारों की विशेष उपस्थिति रही।










