नवरात्रि का महापर्व: अमचो गांव में पंचमी पर हुआ मां महामाया का विशेष शृंगार

नवरात्रि का महापर्व हमारे देश में नवरात्रि का मन पर बहुत गुस्सा और श्रद्धा से मनाया जाता है या 9 दिन का त्योहार मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना के लिए प्रसिद्ध है हर दिन हम मां के अलग-अलग स्वरूप की आराधना करते हैं और खास सिंगर भी करते हैं गांव के इलाके में भी नवरात्रि धूमधाम से देखने को मिलती है इस क्रम में अमचो गांव में भी पंचमी के दिन मां महामाया का खास श्रृंगार करके भव्य पूजा को आयोजन होता है।

हम सब गांव के निवासी ने पूरे तरह से श्रद्धा और भक्ति के साथ मां महामाया का खास श्रृंगार किया है मंदिर को रंग-बिरंगे फूल और दीपक से सजाया है इस अवसर पर गांव के सभी लोग खास रूप से पूजा में शामिल होते हैं जहां पर मां महामाया के चरणों में प्रसाद चढ़ाया जाता है और आने से भक्ति देवी से सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं। पंचमी के दिन मां महामाया की महिमा और पूजा को खास मान्यता मिलता है इसलिए एक दिन का महत्व गांव के लोगों के लिए बहुत खास है।

मुख्य बिंदु:

  1. नवरात्रि के पंचमी तिथि पर अमचो गांव में मां महामाया का खास रूप से सिंगार करके पूजा को संपन्न किया जाता है।
  2. फिर उसके बाद मां महामाया के दर्शन और पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी एकत्रित होते हैं।
  3. मां महामाया का सिंगर प्राकृतिक फुल, रेशमी वस्त्र और सोने चांदी के आभूषण से किया जाता है।
  4. पूजा तिथि में गांव के बड़े बुजुर्ग और पुजारी ने परंपरागत रीति रिवाज को पालन करते हुए खास रूप से मंत्रोच्चारण करते है।
  5. पूजा के बाद हम जैसे भक्ति के लिए मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है इसमें की लोकगीत और नृत्य भी प्रस्तुत होता है।

महामाया मंदिर की स्थापना और उसका इतिहास

हम तो गांव का शिक्षित वर्ग से जुड़े नितिश्वर चंद्राकर ने बताया है कि नवरात्रि का महापर्व महामाया मंदिर की स्थापना सन 1995 में हुआ था इस मंदिर की स्थापना का लक्ष्य केवल पूजा अर्चना नहीं था बल्कि गांव वासियों के बीच में सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के लिए था या मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है जहां पर सालों से चैत्र और कुंवार के नवरात्र में उत्सव खास रूप से धूमधाम से मनाया जाता है मंदिर का ऐतिहासिक महत्व इस बात से झलकता है की स्थापना के बाद से यह नियमित रूप से ही धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें गांव के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। जय माता रानी।

मंदिर की सजावट और पंचमी पर विशेष आयोजन

नवरात्रि के 9 दिन में मां महागौरी के मंदिर को भाभी रूप से सजा दिया जाता है खासकर पंचमी के दिन मां महामाया का खास रूप सिंगार किया जाता है इस दिन हम मंदिर की सजावट अपने चरम पर करते हैं मंदिर को सजाने में फूलों और मालाओं, दियो और रंगीन कपड़ों का भी इस्तेमाल करते हैं। हम जैसे भक्तगण खास रूप से पूजा पाठ के लिए इकट्ठे होते हैं और मंदिर परिसर में धार्मिक गीतों की गूंज भी सुनाई देती है।

हमारी मां महामाया का सिंगर पंचमी के दिन बहुत ही भाव और मनमोहन लगता है गांव के लोग खास रूप से सामान से मां का सिंगार करते हैं जो कि स्थानीय सांस्कृतिक और परंपराओं का प्रतीक है इस दिन खास रूप से पूजा के बाद भोग लगाया जाता है इसमें के गांव के सभी लोग शामिल होते हैं पंचमी के इस आयोजन में मां के चरणों में अर्पित फूल, चावल और अन्य धार्मिक सामान को हम जिससे भक्तो में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

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ज्योति प्रज्ज्वलन और जसगीत गायन टोली का आयोजन

नवरात्रि का महापर्व इस समय हम मंदिर में ज्योति कलश कब प्रज्वलित परंपरा को निभाते हैं ज्योतिष प्रज्वलित करने की परंपरा आमचो गांव में खास रूप से जरूरी माना जाता है क्योंकि इससे मां महामाया के आशीर्वाद और गांव की खुशहाली का प्रतीक माना गया है इस ज्योति का खास स्थापना के साथ गांव में भक्ति भाव की लहर दौड़ जाता है। इस साल भी मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई है इसका लक्ष्य गांव के समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करना है।

इसके साथ ही हर शाम को जस गीत गायन टोली के जरिए सेवा की गया जाता है जसगीत गांव की एक पुरानी परंपरा है जिसे भक्ति भाव गीत गाए जाते हैं या टोली मंदिर परिसर में इकट्ठा होते हैं और मामा माया की महिमा का गूंजते जसगीत मधुर स्वर में हम जैसे भक्तों के मन को शांति और ऊर्जा से भर देता है इस योजना में न सिर्फ गांव के बड़े बुजुर्ग बल्कि युवा पीढ़ी भी बढ़-चला से हिस्सा लेते हैं जिससे की धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को और बढ़ावा मिलता है।

अष्टमी पर हवन और महाआरती

पंचमी के बाद अष्टमी का दिन भी खास रूप से महत्व रखता है इस दिन हम हवन पूजन के साथ महाआरती का भी आयोजन करते हैं हवन पूजन का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इससे नकारात्मक शक्ति का विनाश होता है और कल्याण की कामना करने के लिए भी किया जाता है हवन के समय मां महामाया को खास रूप से आहुति दी जाती है इस पवित्र अनुष्ठान में गांव के हर घर में कोई ना कोई सदस्य भाग देता है जिससे कि हमारे पूरे गांव में एक सामूहिक शक्ति और भक्ति का भावना होता है।

महाआरती का आयोजन हवन के बाद करते हैं जिससे कि गांव के लोग मां की आराधना करते हैं और मां का कृपा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं इस मां आरती में गांव के सभी लोग इकट्ठा होते हैं और मां महामाया के समक्ष दीपक को जलाते हैं या आरती मां के आशीर्वाद को समर्पित होता है और इससे बहुत ही भव्य रूप से मनाते हैं।

गांव की आस्था और भक्ति

अमचो और पांच भैया गांव के लोग नवरात्रि का महापर्व अपने जीवन का अभिज्ञा हिस्सा मानते हैं हर साल जब हर साल नवरात्रि का पाव आता है तो गांव के सभी लोग पूरे मन से इसकी तैयारी में लग जाते हैं मंदिर को सजाना, मां का सिंगार करना, जस गीत गाना और हवन पूजन करना यह सब गांव के लोगों के जीवन का जरूरी गतिविधियाँ भक्ति और उत्साह का माहौल बन जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान के लिए नहीं है बल्कि गांव के हर एक लोग के बीच में एक झूठ और सामूहिक का प्रतीक है।

नवरात्रि के पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व

नवरात्रि पूजा पर न केवल धार्मिक रूप से जरूरी है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसका बहुत खास स्थान है इस पर्व के समय गांव में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होता है जिस्म की लोकनृत्य ,भजन कीर्तन और पारंपरिक खेल भी शामिल होता है इस सब आयोजन सी केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी संदेश देता है युवा पीढ़ी इन सब कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है और हम अपनी परंपरा से जुड़ाव को महसूस करते हैं।

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