वाराणसी: ईंट निर्माता एसोसिएशन वाराणसी के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह के नेतृत्व में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्य रूप से प्रदूषण विभाग और शासन की नीतियों से उत्पन्न परेशानियों पर चर्चा की गई।
बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि शासन-प्रशासन द्वारा ईंट भट्ठा मालिकों को परेशान किया गया तो इसका मुकाबला न्यायपालिका के माध्यम से किया जाएगा। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि जिन भट्ठों को प्रदूषण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिला है, उन्हें भी किसी न किसी रूप में बंद कराया जा रहा है।

ईंट भट्ठा मालिकों ने कहा कि एक भट्ठे से कम से कम 200 परिवारों का भरण-पोषण होता है और प्रदेश में लगभग 9,000 भट्ठे संचालित हैं। हर भट्ठा मालिक सालाना 5 से 7 लाख रुपए टैक्स देता है, फिर भी शासन का दोहरा रवैया उन्हें परेशान कर रहा है।
भट्ठा मालिकों का कहना है कि सरकार द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन किया गया है। पहले लोहे की चिमनी बंद कराई गई, फिर फिक्स चिमनी बनाई गई, उसके बाद जिग-जैग भट्ठों का निर्माण कराया गया। बावजूद इसके समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि ईंट भट्ठों की चिमनी 100 फीट से ऊँची है, फिर भी कार्रवाई भट्ठों पर हो रही है, जबकि कई लघु उद्योग ऐसे हैं जो अधिक कार्बन उत्सर्जन करते हैं पर उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता।
एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि यदि शासन ने समय रहते संज्ञान नहीं लिया तो आंदोलन की शुरुआत वाराणसी से होगी और यह प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है।
बैठक में अध्यक्ष हरिशंकर सिंह (मुन्ना), सुरेंद्र लालवानी, प्रवीण सिंह, हरिओम सिंह, अभय सिंह, ओमप्रकाश सिंह, पंकज सिंह, बाबू सिंह, शुभ यादव, घनश्याम सिंह, गुंजन जायसवाल सहित अन्य ईंट निर्माता मौजूद रहे।
रिपोर्ट- नेहा

Author: Ujala Sanchar
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