वाराणसी: उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बनारस के बिजलीकर्मियों ने 351वें दिन भी बिजली के निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान वक्ताओं ने आगामी 152 संविदाकर्मियों की छटनी पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की और चेतावनी दी कि यदि छटनी नहीं रोकी गई तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में प्रबंध निदेशक से मुलाकात कर वर्ष 2023 में निकाले गए संविदाकर्मियों को रिक्त पदों पर अनुभव के आधार पर रखने का आश्वासन लिया था। लेकिन इसी बीच सूचना मिली कि नगरीय विद्युत वितरण मंडल-द्वितीय वाराणसी में 1 दिसंबर से लागू होने वाले नए टेंडर में 641 की जगह केवल 489 संविदाकर्मियों को रखा जाएगा, जिससे मछोदरी, कज्जाकपुरा, इमिलियाघाट और पहड़िया क्षेत्रों के करीब 152 संविदाकर्मी प्रभावित होंगे।
इस निर्णय ने अल्पवेतनभोगी संविदाकर्मियों में भारी निराशा फैला दी है, जिनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। वक्ताओं ने कहा कि जिन कर्मियों ने अपनी पूरी जवानी इस विभाग को दी, वे अब उम्र के इस पड़ाव पर नई नौकरी कैसे पाएंगे?
वक्ताओं ने यह भी याद दिलाया कि पिछले वर्ष हुई छटनी का दुष्परिणाम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ा था, जब भीषण गर्मी में लोगों ने बिजली कटौती से त्रस्त होकर ऊर्जा मंत्री का घेराव किया था। मंत्री ने तब सभी संविदाकर्मियों को वापस रखने का निर्देश दिया था और कहा था कि उन्हें बदनाम करने की साजिश हो रही है। बावजूद इसके, शासन ने पुनः बड़े पैमाने पर संविदाकर्मियों को हटाने की तैयारी कर ली है।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि मंडल प्रथम की तरह मंडल-द्वितीय में भी छटनी के बाद बिजली व्यवस्था चरमरा जाएगी और मछोदरी, मैदागिन, टाउन हॉल, कोनिया, शिवपुर, भोजूबीर, सारनाथ, पांडेयपुर, आशापुर, पंचकोशी आदि क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी।
वक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा प्रबंधन जानबूझकर कर्मियों की कमी कर निजीकरण की पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है। प्रदेश के 30 करोड़ लोगों को केवल 1 लाख 18 हजार बिजलीकर्मी संभाल रहे हैं, जो 12 घंटे से अधिक कार्य के बाद भी निजीकरण का इनाम दिया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि लखनऊ में रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर पद समाप्त करने से राजधानी की बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रबंधन की है। मेरठ में हुआ रिस्ट्रक्चरिंग का प्रयोग पूरी तरह असफल बताया गया, जिस पर विधानसभा की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अमित अग्रवाल ने पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन को फटकार लगाई थी।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने अमित अग्रवाल और भाजपा नेता लक्ष्मीकांत बाजपेई से वार्ता कर रिस्ट्रक्चरिंग का विरोध व्यक्त किया। प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि यह प्रयोग गलत है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
सभा को ई. एस.के. सिंह, अंकुर पांडेय, जसवंत कुमार, प्रवीण सिंह, बृज सोनकर, पंकज कुमार, बृजेश कुमार, धर्मेंद्र यादव, एस.के. सरोज, रंजीत पटेल, धनपाल सिंह, योगेंद्र कुमार, चंद्रशेखर कुमार, सन्नी कुमार सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।







