वाराणसी: शास्त्री घाट पर आज उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों द्वारा एक शोक सभा का आयोजन किया गया। यह सभा उन शिक्षा मित्रों को श्रद्धांजलि देने के लिए रखी गई, जिनकी आर्थिक संकट और मानसिक तनाव के चलते असमय मृत्यु हो चुकी है।
23 वर्षों से कर रहे सेवा, लेकिन अब भी अस्थायी
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 1.5 लाख शिक्षा मित्र पिछले 23 वर्षों से गांवों के गरीब, वंचित, शोषित, पिछड़े और किसान परिवारों के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ये शिक्षक राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी 100% सहभागिता देकर उन्हें सफल बना रहे हैं।
इसके बावजूद इन शिक्षा मित्रों को केवल ₹10,000 प्रतिमाह मानदेय, वह भी केवल 11 महीनों के लिए मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय हो गई है।

मानसिक तनाव से हो रही असामयिक मौतें
शिक्षा मित्रों का कहना है कि न्यून वेतन और अस्थायी भविष्य के कारण वे न तो अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं, न ही अपने बुजुर्ग माता-पिता की दवाइयों या बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा पा रहे हैं।
इस आर्थिक और मानसिक दबाव के कारण औसतन प्रतिदिन दो से तीन शिक्षा मित्रों की असामयिक मृत्यु हो रही है, जो समाज के लिए अत्यंत दुखद और चिंताजनक है।
सरकार से की नियमितीकरण की मांग
शिक्षा मित्रों ने राज्य सरकार से मांग की है कि उन्हें नियमित शिक्षक के रूप में स्थायी नियुक्ति दी जाए, समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए, और सेवा शर्तों को स्थायित्व प्रदान किया जाए।
सभा में कई शिक्षा मित्रों ने भावुक होकर कहा कि वे देश के भविष्य को शिक्षित कर रहे हैं, लेकिन स्वयं और अपने परिवार का भविष्य अंधकार में है।
आगामी आंदोलन की चेतावनी
शिक्षा मित्रों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।









