दशहरा 2024 जिसे हम विजयदशमी भी कहते हैं यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है यह पर्व हर साल आता है विश्वसनीय मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही मनाया जाता है इस साल 12 अक्टूबर 2024 को दशहरे का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाएंगे एक दिन हम मां दुर्गा के महिषासुर का वध करके त्रिलोक को उसके आतंक से मुक्त करते हैं मां दुर्गा की विजय के प्रतीक के रूप में यह त्योहार पूरे हमारे भारत में अलग-अलग रीति रिवाज के साथ मनाते हैं।
दशहरा का पर्व केवल पर्व नहीं है यह एक धार्मिक उत्सव भी नहीं है बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक और उत्साह को लाने का एक जरिया भी है इस दिन हम मां देवी की पूजा अर्चना करते हैं और खास रूप से उसके शक्तिशाली रूप का भी ध्यान करते हैं इसके साथ ही इस अवसर पर शुभ योग का भी मुहूर्त है इसका हम खास ध्यान रखेंगे ताकि पूजा विधि को सही तरीके से पूरा कर सके हम इस लेख में हम देवी दुर्गा के संपूर्ण पूरे कथा को दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानेंगे इस पर्व को हम सही तरीके से मना सके
दशहरा पर्व का महत्व
आज का दिन शनिवार है 12 अक्टूबर 2024 हमारे भारत में दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है यह पर्व जो है बुराई पर अच्छाई का जीत है जब हमारे देवी मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था तब तीनों लोगों को उसके आतंक से मुक्त कर दिया था दशहरे का यह जो पर्व है हम हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही मानते हैं। तो लिए इस खास असर पर हम देवी मां दुर्गा की कथा शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि के बारे में पूरा डिटेल में बात करते हैं और इसके बारे में जानते हैं।
शुभ योग और तिथियां
इस साल दशहरे पर कुछ खास योग भी बन रहे हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्ध योग का निर्माण हुआ है। यह दोनों योग दिनभर सक्रिय रहेंगे। जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग 13 अक्टूबर को समाप्त होगा। इन योगों का उपयोग मंगल कामों के लिए किया जा सकता है। आज के दिन बुध और शुक्र का संयोग लक्ष्मी-नारायण योग भी बना रहा है जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
दशहरा पूजा के शुभ मुहूर्त
दशहरे का शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं।
- सुबह के समय 10:59 बजे से लेकर के शुरू हुआ और 13 अक्टूबर को सुबह 9:08 बजे तक रहेगा।
- पूजा का शुभ समय 12 अक्टूबर को दोपहर 1:17:00 से लेकर के 3:35 तक रहेगा।
- विजय मूरत 2:03 बजे तक से लेकर के 2:49 बजे तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त 11:44 से लेकर के 12:30 बजे तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त 5:54 बजे से लेकर के 6:19 बजे तक रहेगा।
देवी दुर्गा की कथा
महिषासुर का आतंक: महिषासुर का आतंक चारों ओर फैला हुआ था और उसके पास एक वरदान था कि कोई भी देवता या मनुष्य उसे नहीं मार सकता था। इस कारण वह दिव्य शक्तियों का गलत तरीके से उपयोग कर रहा था जिससे त्रिदेव भी चिंतित हो गए। इस समस्या का समाधान करने के लिए देवी दुर्गा का प्रकट होना जरूरी था।
देवी का जन्म
भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने मिलकर एक अत्यंत शक्तिशाली देवी का निर्माण किया गया है जिसे हम देवी दुर्गा के नाम से जानते हैं। देवी दुर्गा को सभी देवताओं ने खास अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए ताकि वे महिषासुर के खिलाफ युद्ध कर सकें।
राक्षसों का वध
देवी दुर्गा ने 10 दिन तक महिषासुर और उसके साथी राक्षसों से लगातार युद्ध किया अंतत उन्होंने महिषासुर का वध भी कर दिया इस प्रकार उन्होंने त्रिलोकी को उसके आतंक से मुक्त किया। देवी दुर्गा का यह रूप अति भव्य और तेजस्वी है, और उनके विजय से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो अच्छाई की हमेशा विजय होती है।
पूजा विधि
देवी अपराजिता की पूजा; दशहरा के दिन पूजा देवी अपराजिता का खास महत्व है। पूजा में श्रीयंत्र का विधिवत पूजन करने का भी विधान है। इसके अलावा शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है, जिसे धन, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शमी के पेड़ के नीचे रंगोली बनाकर दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि की बढ़ोतरी होती है।
शमी के पेड़ की पूजा
दशहरा के दिन शमी के पेड़ की भी पूजा करते हैं इसे हम धन सुख और समृद्धि का भी प्रतीक मानते हैं शमी के पेड़ के नीचे अगर रंगोली बनाकर दीप को जलाएं तो हमारे घर में सुख समृद्धि की भी बढ़ोतरी होगी।
विसर्जन विधि
ज्योतिषों का मानना है की मां दुर्गा की प्रतिमा जो है उसका विसर्जन 12 अक्टूबर को रवि योग में करना सबसे शुभ रहेगा विसर्जन से पहले जवारे को परिवार के सदस्यों के बीच बात करके कुछ अपने पास रख लेना चाहिए, जिससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।

Neha Patel is a content and news writer who has been working since 2023. She specializes in writing on religious news and other Indian topics. She also writes excellent articles on society, culture, and current affairs.